अखंड सौभाग्य के लिए वट पूजन
सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य के लिए रविवार को वट सावित्री व्रत का पूजन किया। सुहागिनों ने सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों और वट वृक्ष की पूजा की।
इलाहाबाद। सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य के लिए रविवार को वट सावित्री व्रत का पूजन किया। सुहागिनों ने सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों और वट वृक्ष की पूजा की। शहर के तमाम मंदिरों और वट वृक्षों पर सुहागिनों ने पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की। ज्येष्ठ की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि यह व्रत सुहागिनें अपने पति की सलामती के लिए रखती हैं। व्रत का परायण सावित्री-सत्यवान की कथा और पूजन से किया जाता है। इस व्रत में सुहागिनें वट के तने पर कच्चे सूत को लपेटती हैं। सावित्री के पूजन के पश्चात सिंदूर, कुमकुम और पान के पत्ते से पूजा की जाती है। इसके बाद फल, वस्त्र और सौभाग्यसूचक वस्तुओं को बांस की टोकरी में रखकर दान किया जाता है। इस व्रत के बारे में डॉ. देवी प्रसाद कुंवर ने बताया कि हिंदू धर्म शास्त्र की मान्यता के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रम्हा तन में विष्णु, उपरी भाग में शिव तथा सर्वाग में सावित्री का निवास होता है। इसलिए वट वृक्ष का पूजन किया जाता है।
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