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शिव मंदिर में बहे भक्ति की धारा

पानीपत के गांव खलीला पहलादपुर में बना शिव मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है बल्कि अपनी भव्यता के कारण हर श्रद्धालु को अपनी ओर खींचता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर सुशोभित शिव परिवार की प्रतिमाओं के आगे यहां आने वाला हर श्रद्धालु नतमस्तक हो जाता है।

By Edited By: Published: Thu, 06 Dec 2012 02:51 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2012 02:51 PM (IST)
शिव मंदिर में बहे भक्ति की धारा

पानीपत के गांव खलीला पहलादपुर में बना शिव मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है बल्कि अपनी भव्यता के कारण हर श्रद्धालु को अपनी ओर खींचता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर सुशोभित शिव परिवार की प्रतिमाओं के आगे यहां आने वाला हर श्रद्धालु नतमस्तक हो जाता है।

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चीन समय से ही देवी-देवताओं में गहरी आस्था रखना और श्रद्धा के साथ पूजा करना हरियाणा प्रदेश की संस्कृति में शामिल रहा है। अपने-अपने इष्ट देवताओं की मान्यता के साथ-साथ प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर बने शिवालयों में भी शिवभक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। शरीर पर भस्म और गले में सर्प की माला हो, कंठ में विष और जटाओं में जगत तारिणी गंगा मैया हो, मस्तक पर अर्धचंद्र और हाथों में संहारक त्रिशूल हो, वे और कोई नहीं निश्चित रूप से देवों के देव महादेव ही हो सकते हैं।

समस्त जगत में भोले भंडारी, भोलेनाथ और भोले शंकर के नाम से विख्यात महादेव की महिमा अपरंपार है। हरियाणा में भी भोलेनाथ के अनगिनत नामों की तरह इनके असंख्य भक्त हैं। इसीलिए प्रदेश में अनेक जगह बने शिवालयों में बोल बम के नारे गूंजते रहते हैं। पानीपत के गांव खलीला-पहलादपुर में बना शिव मंदिर भी न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है बल्कि अपनी भव्यता के कारण हर श्रद्धालु को अपनी ओर खींचता है। पूर्व दिशा की ओर मुख्य द्वार वाला यह शिव मंदिर गांव में प्रवेश करते ही दिखाई देता है। मंदिर में पं. रतिराम शास्त्री सुबह-शाम शिव परिवार की मंगलकारी आरती में असंख्य भक्तों के साथ लीन रहते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर शिव परिवार सुशोभित है जहां हर कोई नतमस्तक हो जाता है। मंदिर में हनुमान, शनि देव, मां संतोषी, राधा-कृष्ण व शिव-पार्वती के स्वरूपों को भी स्थापित किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस शिव मंदिर का निर्माण लगभग ढाई दशक पूर्व ग्रामीणों ने आपसी आर्थिक सहयोग से किया था। करीब 52 फुट ऊंचे इस शिव मंदिर का अधिकांश भाग संगमरमर की टुकडि़यों से निर्मित है। एक एकड़ क्षेत्र में फैला बाग मंदिर को हरियाली प्रदान करने के अलावा इसकी शोभा को चार-चांद लगाता है जिसमें अमरूद, अनार व नींबू के अलावा बरगद और पीपल के वृक्ष भी लगे हुए हैं। सत्संग और धार्मिक अनुष्ठान के अनेक कार्य संपन्न करने के लिए फिलहाल मंदिर में बड़े हाल का निर्माण भी करवाया जा रहा है।

गांव खलीला पहलादपुर में बने इस शिव मंदिर में सावन के महीने में अनेक शिवभक्त हरिद्वार व गोमुख से कांवड़ और गंगाजल लाकर शिव मंदिर में चढ़ाते हैं और महाशिवरात्रि पर्व को ग्रामीणों के सहयोग से बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यहां पर हर वर्ष महाप्रभु रामलाल व योगीराज चंद्रमोहन के नाम से योग साधना शिविर भी लगाया जाता है औार ब्रह्मचारी आचार्य डॉ. दासलाल महाराज के नेतृत्व में श्रीमद्भागवत गीता का प्रवचन भी होता है जिसमें श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस शिव मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु की सभी मनोकामनाओं को भगवान शिव हर हाल में पूरी करते हैं। इस शिव मंदिर में हर समय दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले शिवभक्तों का तांता लगा रहता है।

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