भगवान का नाम जपने से होती है मन की शुद्धि
सागर रूपी संसार से तरने का बस एकमात्र साधन प्रभु का नाम है। भगवान सदैव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। भगवान का नाम जपकर ही मन को शुद्ध किया जा सकता है। ये प्रवचन कथा व्यास मंगल भवन दास ने दिए। दयानंद नगर स्थित शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा में दिए।
गाजियाबाद। सागर रूपी संसार से तरने का बस एकमात्र साधन प्रभु का नाम है। भगवान सदैव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। भगवान का नाम जपकर ही मन को शुद्ध किया जा सकता है। ये प्रवचन कथा व्यास मंगल भवन दास ने दिए।
दयानंद नगर स्थित शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा में दिए। उन्होंने बताया कि भगवान श्री राम,सीता और लक्ष्मण ने पहला विश्राम चित्रकूट में किया था। जबकि गोबरधन और चित्रकूट पर्वत दोनों सगे भाई हैं। वन गमन के बाद श्री राम ने केवट और अहिल्या का बेड़ा पार किया। जब श्री राम नदी पार करने के लिए केवट से कहते हैं, तो केवट कहता है कि, हे प्रभु मेरी ये नाव काठ की है। कहीं आप इस पत्थर की तो नहीं बना देंगे। तब श्री राम उसकी शंका को सुलझाते हैं। संगीतमयी इस कथा में विभिन्न प्रसंगों को सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर