सच्चे दिल से मांगी मुराद होती है पुरी
नगर में डेढ़ सौ साल से अधिक पुराना मां काली का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। यह प्राचीन सिद्ध पीठ क्षेत्र में स्थित है। इस पीठ की मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे दिल से मन्नत मांगता है।
नगीना [बिजनौर] नगर में डेढ़ सौ साल से अधिक पुराना मां काली का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। यह प्राचीन सिद्ध पीठ क्षेत्र में स्थित है। इस पीठ की मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे दिल से मन्नत मांगता है। उसकी मुराद अवश्य पूरी हो जाती है।
-तीन दिवसीय मेले में आते हैं हजारों श्रद्धालु
धामपुर नेशनल हाईवे मार्ग 74 पर स्थित रामलीला मैदान में डेढ़ सौ साल से अधिक समय से सिद्ध पीठ क्षेत्र में
मां काली का मंदिर स्थित है। लगभग 40 वर्ष पूर्व यहां मां दुर्गा की मूर्ति प्रकट होने (खुदाई के दौरान निकलने) के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। इस सिद्ध पीठ पर दशहरा मेले के अलावा चैत्र पक्ष के नवरात्र के दिनों में भी सप्तमी, अष्टमी व नौमी का तीन दिवसीय मेला भी लगता है। जिसमें आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर विशेष पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं। शारदीय नवरात्र में भी सिद्ध पीठ पर सप्तमी, अष्टमी व नौमी का विशाल मेला लगता है।
-सात दिन पूजा का है विशेष महत्व
मंदिर के प्रबंधक हरि गोपाल ने बताया कि जीर्णोद्धार के बाद इस मंदिर में मां काली पहले से ही स्थापित थी बाद में सिद्धदात्री, शेरावाली, महागौरी, कालरात्रि, कात्यायनी, स्कन्दमाता, कुष्माण्डा, चन्द्रघंटा, शैलपुत्री, हनुमानजी, भैरव, शनि देव सहित शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित की गईं। जीर्णोद्धार के बाद से यहां प्रात: कालीन पूजा अर्चना व सांय कालीन महाआरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर के पुजारी शरद चंद शर्मा व संतोष चंद शर्मा ने बताया कि इस सिद्ध पीठ में लोगों की इतनी आस्था है कि जब भी कोई व्यक्ति छोटा या बड़ा वाहन खरीदता है तो सबसे पहले उसकी पूजा कराने के लिए इसी मंदिर में आता है। यहां आकर पूजा करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है। वैसे तो यहां सभी दिन श्रद्धालुओं का आना लगा रहा है, परन्तु सोमवार का दिन यहां अधिक मान्यता वाला दिन है। यहां पर सात सोमवार पूजा करने से दिल की हर मुराद अवश्य पूरी होती चली आ रही है।
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