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संतोष ही दुनिया का सबसे बड़ा सुख

गगरेट कस्बे में श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक स्वामी राम हरि उपाध्याय ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का वृतांत सुनाकर श्रोताओं को भाव भिवोर किया। उन्होंने कहा कि संतोष ही दुनिया का सबसे बड़ा सुख है।

By Edited By: Published: Wed, 09 May 2012 12:18 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2012 12:18 PM (IST)
संतोष ही दुनिया का सबसे बड़ा सुख

ऊना। गगरेट कस्बे में श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक स्वामी राम हरि उपाध्याय ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का वृतांत सुनाकर श्रोताओं को भाव भिवोर किया। उन्होंने कहा कि संतोष ही दुनिया का सबसे बड़ा सुख है। मनुष्य को जीवन में जितनी धन संपत्ति मिले उसमें ही खुश रहकर उस धन का सद् उपयोग करना चाहिए। उस धन का कुछ हिस्सा दान करने व धर्म के नाम पर खर्च करने से ही सुख पाया जा सकता है। सुख में तो व्यक्ति के साथी कई मिल जाते हैं लेकिन वास्तव साथी का पता दुख में ही चलता है। हर पल व हर समय काम आने वाले केवल भगवान और सदगुरु द्वारा दिए गए गुरु मंत्र का जाप है। एक बार जंगल के राजा गजराज सपरिवार एक दिव्य सरोवर में स्नान करने गए। गजराज जैसे ही स्नान कर सरोवर से बाहर निकलने लगे तो उनके पांव पानी से बाहर नहीं आ पाए। जब उन्होंने पानी में देखा तो एक मगरमच्छ ने उनका पांव अपने जबड़े में दबा रखा था। दोनों में घमासान युद्ध छिड़ा। युद्ध करते-करते जब पंद्रह दिन बीत गए तो गजराज के पुत्रों ने कहा पिता जी हम घर जा रहे हैं, आखिर घर भी किसी को संभालना है। जैसे ही एक महीना बीता तो पत्‍‌नी ने भी प्रमाण किया और वहां से जाने लगी। गजराज ने कहा कि आज मैं विपत्ति में हूं और तुम छोड़कर जा रही हो। शादी के समय तुमने कहा था कि सात जन्म आपके साथ निभाउंगी। स्वामी जी कहते हैं कि दुख के समय कोई साथ नहीं देता केवल प्रभु की भक्ति की काम आती है। जब कोई नहीं रहा तो भगवान नारायण ने आकर गजराज को विपत्ति से बाहर निकाला।

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