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धर्म से दूर होता है अहंकार

धर्म हमारे अंदर एकता, भाईचारा व सर्व धर्म समभाव की भावना जागृत करता है। धर्म का पालन करने वाला कभी अहंकारी नहीं होता।

By Edited By: Published: Sat, 31 Mar 2012 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2012 11:36 AM (IST)
धर्म से दूर होता है अहंकार

लखनऊ। धर्म हमारे अंदर एकता, भाईचारा व सर्व धर्म समभाव की भावना जागृत करता है। धर्म का पालन करने वाला कभी अहंकारी नहीं होता।

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सच्चा धर्म वहीं जो हमारे अंदर के अहंकार को नष्ट कर दे। भरत का चरित्र भी कुछ ऐसा ही था। भरत धर्म के नए अर्थ के रूप में सामने आए और उनके त्याग को धर्म के नए मार्ग के रूप में मान्यता दी गई। कुछ ऐसे ही प्रवचनों के बीच हंसदास शास्त्री ने भरत चरित्र का गुणगान किया। हनुमान सेतु मंदिर में चल रहे प्रवचन के दूसरे दिन स्वामी ने भरत के कई प्रसंगों का वर्णन कर भक्तों को भावविभोर कर दिया।

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