Move to Jagran APP

आत्मा का देहान्तरन

वेदांत के अनुसार चेतना के दो वर्ग होते हैं, सार्वभौमिक और व्यक्तिगत। परम पुरुष भगवान, ब्रहमाण्ड की समस्त वस्तुओं के प्रति चेतन होते हैं, जबकि जीव केवल स्वयं के बारे में चेतन होता है।

By Edited By: Published: Wed, 13 Feb 2013 05:20 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2013 05:20 PM (IST)
आत्मा का देहान्तरन

वेदांत के अनुसार चेतना के दो वर्ग होते हैं, सार्वभौमिक और व्यक्तिगत। परम पुरुष भगवान, ब्रहमाण्ड की समस्त वस्तुओं के प्रति चेतन होते हैं, जबकि जीव केवल स्वयं के बारे में चेतन होता है। चेतना का अस्तित्व अभौतिक है। श्रीमद्भागवतम् के सांख्य दर्शन स्कन्ध 3, अध्याय 26) में व्याख्या की गई है कि अति सूक्ष्म चेतना की उपस्थिति द्वारा जीवन कण आत्मा के लक्षणों का विवेचन किया जाता है और यह अलग क्षेत्र में रहती है। भगवतगीता (15.7) में हम पाते हैं ममैवांशो जीवलोके जीवभूत- सनातन:अर्थात सभी जीव परम पुरुष भगवान के नित्य और चेतन अंश हैं। शुद्ध आध्यात्मिक अवस्था में जीव आध्यात्मिक है और उनके शरीर तीन आध्यात्मिक तत्वों से निर्मित है जिससे भगवान का आध्यात्मिक शरीर भी बना है। किंतु भगवान और जीव में यह अंतर है कि परम भगवान की चेतना सर्वव्यापी है जबकि जीव की चेतना अति सीमित है। श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर के शब्दों में, भगवान अद्वेय व अनंत हैं और जीवात्मा अति सूक्ष्म है। दूसरे शब्दों में जीवात्मा में परम भगवान के समान आध्यात्मिक गुण होते हैं। परंतु जीव की क्षमता सीमित होती है जबकि भगवान की क्षमता असीमित होती है।

loksabha election banner

वेदांत के अनुसार प्रत्येक जीव चेतन जीवन कण या आत्मा हे और उसमें मन तथा बुद्धि होती है। जिसमें सूक्ष्म जीव भी सम्मिलित हैं। एक व्यक्ति के व्यवहार में दो प्रकार की गतिविधियां पाई जाती हैं-शारीरिक गतिविधि और मानसिक गतिविधि। जब हम कोई निश्चित कार्य करना चाहते हैं तो पहले हमारा मन योजना बनाता है। तब इसे शारीरिक रूप से किया जाता है। किंतु वेदांत के अनुसार मानव गतिविधियां अंतत: चेतन जीवन कण की इच्छा द्वारा कार्य करती हैं।

वेदांत मस्तिष्क, मन और चेतना के पदानुक्रम को इस प्रकार दर्शाता है-

इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्य: परं मन:।

मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धे: परतस्तु स:।।

कर्मेन्द्रियां जड़ पदार्थ की अपेक्षा श्रेष्ठ हैं मन इन्द्रियों से बढ़कर है, बुद्धि मन से भी उच्च है और आत्मा बुद्धि से भी बढ़कर है। वेदांत के अनुसार मानव क्त्रियाएं चेतन जीवन-कण की इच्छा द्वारा संचालित होती हैं जो बुद्धिा और मन के द्वारा मानव शरीर में संचारित होती हैं।

जीवात्माओं की विभिन्न इच्छाओं को पूरा करने के लिये भौतिक प्रकृति ईश्वर की इच्छा द्वारा विभिन्न गुणों के साथ प्रकट होती है। यह भौतिक प्रकृति विस्तृत रूप से तीन श्रेणियों में बंटी हुई है जिन्हें प्रकृति के तीन गुण कहा जाता है- सत्वम (सतोगुण), रज: (रजोगुण) और तम: (तमोगुण) जीव जीवात्माएं इन गुणों के संपर्क में आती हैं तो वे भिन्न प्रकार से कार्य करती हैं। सतोगुण अन्य दो गुणों से अधिक शुद्ध होता है और सभी जीवात्माएं जैसे मनुष्य, पशु, पक्षी, पौधे इत्यादि प्रकृति के विभिन्न गुणों द्वारा भिन्न-भिन्न मात्राओं में प्रभावित होते हैं।

वेदान्तिक विज्ञान, क्रमिक विकास को समय और स्थान में असंख्य चेतन जीवन कणों के कर्मो के नियम (कारण और उसके परिणाम) के अधीन एक शरीर से दूसरे शरीर में यात्रा के रूप में वर्णित करता है। प्रत्येक जीवात्मा की चेतना की स्थिति या सीमा, गुण (विशेषता) और कर्म उसके क्त्रमिक विकास के मार्ग की दिशा को निश्चित करते हैं।

ब्रंामवैवर्त्यपुराण वर्णन करता है- अशीतिं चतुरश्चैव ल्रक्षां स्तांजीवजातिषु, भ्रमद्भि: पुरुषै: प्राप्यं मानुष्यं जनम-पर्यायात।

अर्थात जीवन के 8,400000 रूप होते हैं। और योनियों को भोगने के पश्चात मनुष्य जीवन प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त पद्म पुराण जीवन रूपों का इस प्रकार वर्णन करता है।

जलजा नव लक्षाणि स्थावरा लक्षविंशति।

कृमयो रुद्रसंख्यका: पक्षिणां दशलक्षणम्

त्रिंशल्लक्षणि पशवा: चतुरलक्षाणि मानुषा:।।

ये जैविक रूप चेतना के विकास को सीमित करते हैं। इसलिये इन विभिन्न रूपों द्वारा चेतना की विभिन्न स्थितियां प्रकट होती हैं। मनुष्यों की चेतना मुकुलित होती है एक कली की तरह जो सिकुड़ी हुई प्रतीत होती है परंतु उसमें फूल के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है। इसलिए मनुष्य में अपनी चेतना को प्राय: अनंत सीमा अर्थात परम सत्य को जान सकने तक विकसित करने की सहज क्षमता होती है। (चेतना) लगातार विकास करती है क्योंकि जीवन का लक्ष्य चेतना की (सच्चिदानन्द) अवस्था को प्राप्त करना होता है। वेदांत के अनुसार जीवन भौतिक शरीर से भिन्न है। मानव जीवन में जब कोई परम सत्य भगवान को यथार्थ रूप से जानने का प्रयास करता है तो उसकी कली जैसी आध्यात्मिक चेतना विकसित होना प्रारम्भ हो जाती है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.