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अपार श्रद्धा जागे सब संकट भागें

हिसार जिले के गांव खेदड़ में बना बाबा श्योरामगिरी मंदिर आसपास ही नहीं बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों के श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास का केंद्र बना हुआ है। ग्रामीणों द्वारा किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत करने से पहले बाबा श्योरामगिरि मंदिर में माथा टेकना उनके प्रति गहरी आस्था को प्रकट करता है। यहां पर भाद्रपद की नवमी को लगने वाले विशाल भंडारे व मेले में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है।

By Edited By: Published: Mon, 18 Feb 2013 03:19 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2013 03:19 PM (IST)
अपार श्रद्धा जागे सब संकट भागें

हरियाले प्रदेश हरियाणा में अनेक स्थानों पर बने मंदिर व धार्मिक स्थल यहां के लोगों की धार्मिक प्रवृत्ति को तो प्रकट करते ही हैं, साथ ही ये उनकी आस्था के प्रतीक भी बने हुए हैं। हिसार जिले के गांव खेदड़ में बना बाबा श्योरामगिरी मंदिर भी आसपास ही नहीं बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों के श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास का केंद्र बना हुआ है। ग्रामीणों द्वारा किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत करने से पहले बाबा श्योरामगिरि मंदिर में माथा टेकना उनके प्रति ग्रामीणों की गहरी आस्था को प्रकट करता है। गांव के बुजुर्गो का कहना है कि आरंभ में बाबा श्योरामगिरी कुटियानुमा झोंपड़ी में रहते थे जहां पर बाद में ग्रामीणों की सहायता से मंदिर का निर्माण करवाया गया। यहां पर भाद्रपद की नवमी को विशाल भंडारे व मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-प्रदेश के कोने-कोने से आने वाले साधु-महात्माओं को बाबा त्रमकेशवरगिरि सम्मानित करते हैं और भंडारे में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

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बाबा श्योरामगिरि के चोला छोड़ने के बाद अनेक साधु-संतों ने इस पवित्र स्थान को अपने कर कमलों से सींचा। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यह बाबा श्योरामगिरि में अगाध आस्था का ही परिणाम है कि गांव खेदड़ के रहने वाले सेठ गंगाराम हर वर्ष भाद्रपद की नवमी को उड़ीसा से चलकर गांव में आते हैं और सबसे पहले मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने के बाद प्रसाद वितरित करते हैं। इस मंदिर में चौदस के दिन भी श्रद्धालु प्रसाद वितरित करने आते हैं। गांव खेदड़ में स्थापित इस मंदिर में बाबा श्योरामगिरि के साथ ही बाबा शांतिगिरि की भी भव्य प्रतिमा सुसज्जित है जो मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को अपनी ओर आकर्षित करती है। गांव के लोगों की बाबा शांतिगिरि में भी गहरी आस्था है तथा ग्रामीण बाबा श्योरामगिरि व बाबा शांतिगिरि को आराध्य मानकर ही अपना हर शुभ कार्य पूर्ण करते हैं।

भाद्रपद की नवमी को यहां पर लगाए जाने वाले भंडारे में सभी ग्रामीण मंदिर में ही भोजन ग्रहण करते हैं और मंदिर में हर घर से दूध पहुंचाया जाता है। बाबा श्योरामगिरि मंदिर के पास ही शिव मंदिर का निर्माण भी किया गया है जहां हर वर्ष शिवरात्रि के दिन शिवभक्त कांवड़ चढ़ाते हैं तथा श्रद्धालुओं द्वारा जलाभिषेक कर भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवरात्रि के दिन यहां विशाल भंडारा लगाया जाता है तथा इसी दिन लगने वाले मेले में दूर-दूर से अनेक श्रद्धालु पहुंचते हैं। शिव मंदिर के पुजारी रामकुमार शर्मा भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करते हैं।

गांव के श्रद्धालुओं का कहना है कि जब गांव के लोग अपने खेतों में अनाज निकालते हैं तो सबसे पहले वे गांव में बने शिव मंदिर के लिए अलग से अनाज से कुछ हिस्सा निकालकर रखते हैं जिसे बाद में मंदिर में चढ़ाया जाता है। गांव में बने शिव मंदिर और बाबा श्योरामगिरि मंदिर में श्रद्धावश उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ यहां के वातावरण को और भी आस्थामय बना देती है।

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