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नवरात्र: मां के दरबार उमड़ा भक्तों का सैलाब

मां आदिशक्ति की आराधना के पर्व नवरात्र पर भक्तों ने मां भगवती के स्वरूपों की पूजा की। माता के आनंदमयी स्वरूप का ध्यान कर अज्ञान, आलस्य, क्रोध, मोह आदि दोषों को दूर करने की प्रार्थना की गई। नवरात्र देवी की पूजा के लिए अहम माना जाता है। लोगों ने आदिशक्ति के साथ शनिदेव का वैदिक मंत्रोचार के बीच पूजन किया।

By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2013 02:47 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2013 02:47 PM (IST)
नवरात्र: मां के दरबार उमड़ा भक्तों का सैलाब

इलाहाबाद। मां आदिशक्ति की आराधना के पर्व नवरात्र पर भक्तों ने मां भगवती के स्वरूपों की पूजा की। माता के आनंदमयी स्वरूप का ध्यान कर अज्ञान, आलस्य, क्रोध, मोह आदि दोषों को दूर करने की प्रार्थना की गई। नवरात्र देवी की पूजा के लिए अहम माना जाता है। लोगों ने आदिशक्ति के साथ शनिदेव का वैदिक मंत्रोचार के बीच पूजन किया। महासिद्धपीठ मां ललिता देवी, कल्याणी देवी, अलोपशंकरी, समया माई, मसूरिया देवी, जीरो रोड स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में भक्तों ने मां भगवती व शनिदेव का पूजन कर भजन-कीर्तन से उनकी महिमा का गुणगान किया। व्रती महिलाएं ललिता मइया का दरबार निराला, प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी, कष्ट हर दो हे ललिता मइया जैसे भजनों से मां को रिझाने में लगी रहीं।

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दिव्य स्वरूप देख मंत्रमुग्ध हुए लोग-

महाशक्तिपीठ मां ललितादेवी मंदिर में मां के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ जुटी। भव्य चौकी में विराजमान मां का पुष्पों व दुर्लभ रत्नों से मोहक श्रृंगार किया गया। उनका यह दिव्य स्वरूप हर किसी को मोहित कर रहा था। मानव कल्याण के लिए मंदिर में चल रहे श्रीशतचंडी महायज्ञ में सामूहिक आहुतियां डाली गई। अवधूत बाबा के भंडारा में भारी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

सोने-चांदी के आभूषणों से सजीं मां-

नवरात्र के दूसरे दिन सिद्धपीठ मां कल्याणी देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। सोने और चांदी के आभूषणों से मां का मोहक श्रृंगार किया गया। बड़ी संख्या में भक्त मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन व पूजन करने के लिए पहुंचे। यहां अध्यक्ष सुशील कुमार पाठक के नेतृत्व में मानव कल्याण के लिए शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही भक्त मुंडन व नामकरण संस्कार भी करा रहे हैं।

भक्तों को भाई मां क्षेमामाई-

मां क्षेमामाई खुशहाल पर्वत के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहा। लोग दर्शन-पूजन कर उनसे कल्याण की कामना कर रहे थे। मां का कृत्रिम पुष्पों से आकर्षण श्रृंगार किया किया। परिसर में भजन-पूजन का सिलसिला सुबह से लेकर देर रात तक चलता रहा।

पालने में मत्था टेक मांगा आशीर्वाद-

सिद्धपीठ मां अलोपशंकरी का दर्शन-पूजन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटी। मां के दरबार में मेला लगा। दूर-दूर से आए भक्तों ने मां के पालने में पुष्प, नारियल, फल व चुनरी अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। मां के पालने में मत्था टेकने की लोगों में होड़ लगी रही। बड़ी संख्या में लोगों ने बच्चों का मुंडन भी कराया। देर रात आकर्षक विद्युत साज-सज्जा में मंदिर की छटा देखते ही बनी।

संस्कार का पाठ पढ़ाती है रामचरित मानस-गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस संस्कृति एवं संस्कार का पाठ पढ़ाती है। बड़े से बड़े विद्वान भी इसमें गोता लगाने को आतुर रहते हैं। उक्त विचार मां कल्याणी देवी मंदिर में आयोजित राम कथा में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गोस्वामी जी द्वारा रचित रामचरित मानस में भक्ति व दर्शन का अनूठा संगम देखने को मिलता है। इसकी एक-एक चौपाई वेद मंत्र है। कथा व्यास राजेंद्र जी ने संगीतमयी रामकथा के माध्यम से सद्मार्ग पर चलने का संदेश दिया। सदगुण व दुर्गुण के बीच अंतर बताते हुए मंथरा को लोभ का साक्षात स्वरूप बताया।

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