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होली पर मिलावट का साया

रंगों के त्योहार होली में अब बस चंद दिन शेष हैं। ऐसे में बाजार भी तैयार हो रहा है। खासतौर से बाजार में पारंपरिक मिष्ठानों को लेकर खासी हलचल है। मिठाई बाजार पर हमेशा की तरह इस बार भी मिलावट का साया मंडरा रहा है।

By Edited By: Published: Thu, 21 Mar 2013 04:17 PM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2013 04:17 PM (IST)
होली पर मिलावट का साया

देहरादून। रंगों के त्योहार होली में अब बस चंद दिन शेष हैं। ऐसे में बाजार भी तैयार हो रहा है। खासतौर से बाजार में पारंपरिक मिष्ठानों को लेकर खासी हलचल है। मिठाई बाजार पर हमेशा की तरह इस बार भी मिलावट का साया मंडरा रहा है। दरअसल, देहरादून शहर में खपत के अनुरूप मावा व दूध का उत्पादन नहीं होता, इसलिए काफी मात्रा में माल यूपी के मुजफ्फरनगर व सहारनपुर जनपदों से दून पहुंचता है। चूंकि मावा व दूध दूसरे शहरों से आता है इसलिए मिलावट की संभावना और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

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केवल देहरादून नगर निगम क्षेत्र में ही होली पर 50 कुंतल से ज्यादा मावे की मांग रहती है, जबकि स्थानीय स्तर पर इसे पूरा कर पाना संभव नहीं। इसीलिए मुजफ्फरनगर, सहारनपुर जिलों से मावा व दूध मंगाया जाता है। होली की पारंपरिक मिठाई गुझिया पर मिलावटखोरों की नजरें गढ़ी हैं। गुझिया में प्रयोग होने वाला मावा मिलावटखोरों के निशाने पर है। दोयम दर्जे का मावा बाजार में आने के बाद मिलावटखोरों की तो चांदी ही चांदी है। हालांकि विभागीय स्तर से इसे रोकने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि बाजार में मिलावटभरे खाद्य पदार्थो की भरमार है।

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