नौ गजा पीर पर सौहार्द से झुकें शीश
शहर हिसार से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 10 पर शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर सेंट्रल स्टेट फार्म में बनी बाबा नौ गजा पीर की दरगाह में जहां भक्तों का अटूट विश्वास है,
शहर हिसार से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 10 पर शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर सेंट्रल स्टेट फार्म में बनी बाबा नौ गजा पीर की दरगाह में जहां भक्तों का अटूट विश्वास है, वहीं पर यह दशकों पुरानी प्रसिद्ध दरगाह प्रदेशवासियों के साथ-साथ पूरे भारतवर्ष के प्रांतों से आए विभिन्न धर्माे के लोगों की आस्था के कारण सांप्रदायिक एकता, सांप्रदायिक सद्भाव, सर्वधर्म सम्मान और आपसी भाईचारे की प्रतीक बनी हुई है। यहां पर अलग-अलग धर्म-संप्रदाय के लोगों को शीश नवाकर गले मिलते हुए देखा जा सकता है। ढंढूर, ठसका, दुर्जनपुर व चिकनवास तथा आस-पास के क्षेत्रों के निवासी भी हर वीरवार यहां शीश नवाने आते हैं। इस धार्मिक स्थल के प्रति सामने बने बोर्ड सिक्योरिटी फोर्स के सैनिकों की भी अगाध आस्था है।
यहां के बुजुर्गो का मानना है कि आरंभ में यहां उगे झाड़-झंखाड़ों में बाबा नौ गजा पीर की एक छोटी-सी समाधी बनी हुई थी जहां लोग पूजा के लिए आते थे और मन्नतें मांगते थे। बाद में सेंट्रल स्टेट फार्म के अधीन होने पर इस क्षेत्र में गोदाम का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो समाधि की निकटवर्ती दीवारों का निर्माण शाम को तो पूरा हो जाता था लेकिन सुबह दीवारें गिरी हुई मिलती थी। यहां समाधि पर दरगाह के निर्माण के बाद ही गोदामों का निर्माण कार्य पूर्ण हो पाया।
नौ गजा पीर की इस दरगाह की दायीं तरफ कमरे का निर्माण करवाकर माता का दरबार बनाया गया है जिसमें अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं सुशोभित हैं। दरगाह के सामने हवन कुंड भी बनाया गया है। इस दरगाह में प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन शुक्ल पक्ष के वीरवार को यहां अनेक श्रद्धालु चद्दर चढ़ाने आते हैं और दीप जलाकर मन्नतें मांगते हैं।
ढंढूर निवासी लालसिंह व दानाराम तथा दुर्जनपुर निवासी हरिसिंह ने बताया कि यह दरगाह बहुत प्राचीन है और इसका निर्माण फार्म में रहने वाले विभिन्न समुदायों के श्रद्धालुओं ने फार्म प्रशासन को सहयोग देकर करवाया था। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि बाबा नौ गजा पीर उनके हर दुख-दर्द को हरकर उनके द्वारा मांगी गई हर मन्नत को पूर्ण करते हैं।
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