अमेरिका में भी मनाया गया छठ पर्व
भारत में लाखों लोगों की आस्था से जुड़े, सूर्योपासना के प्राचीन हिंदू पर्व [छठ] ने अब अमेरिका में भी दस्तक दे दी है और वहां बसे भारतीयों ने बाकायदा सूर्य को अर्घ्य दे कर यह पर्व मनाया।
वाशिंगटन। भारत में लाखों लोगों की आस्था से जुड़े, सूर्योपासना के प्राचीन हिंदू पर्व [छठ] ने अब अमेरिका में भी दस्तक दे दी है और वहां बसे भारतीयों ने बाकायदा सूर्य को अर्घ्य दे कर यह पर्व मनाया।
वाशिंगटन के उपनगर वर्जिनिया में स्टर्लिंग स्थित ऐतिहासिक पोटामैक नदी के किनारे 200 से अधिक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक एकत्र हुए। छठ का व्रत करने वाली चार महिलाओं ने नदी के पानी में डुबकी लगाई और भगवान सूर्य की आराधना की।
पटना से आए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कृपा एस सिंह ने बताया यहां पर मेरा यह तीसरा साल है लेकिन इस बार सबसे ज्यादा भीड़ यहां एकत्र हुई है। सिंह की पत्नी अनिता ने पोटोमैक नदी पर छठ पूजा की।
वर्ष 2009 में यहां पर अकेले छठ पूजा शुरू करने वाले सिंह ने कहा कि उम्मीद है कि सुबह यहां और लोग एकत्रित होंगे। यहां पर आए कुछ लोग दूर-दराज के भागों जैसे न्यूजर्सी से भी आए थे। वर्जीनिया स्थित एक स्थानीय राजधानी मंदिर में पुजारी गोविंद झा द्वारा यह पूजा कराई जा रही है।
गे्रटर वाशिंगटन महानगर क्षेत्र में एक प्रख्यात भारतीय अमेरिकी समुदाय के नेता कुमार सिंह ने कहा अपनी मातृभूमि से दूर रहने के बाद भी अपनी परंपरा और संस्कृति को बनाए रखने का यह अनूठा प्रयास है।
यहां छठ पूजा की शुरूआत चार साल पहले हुई थी जब अनिता की सास ने बिहार से उसे कहा कि वह छठ पूजा करे। तब सिंह ने अपने मित्रों और भारतीय मूल के अन्य अमेरिकी नागरिकों से पूछा कि क्या यहां कोई छठ पूजा करता है।
सिंह को पता चला कि यहां लोग अपने घरों में ही पूजा करते हैं और पानी से भरे प्लास्टिक के टब में खड़े हो कर भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं और पूजा की जाती है।
सभी बातों का पता लगाने के बाद सिंह और उनके कुछ मित्र वाशिंगटन डीसी के एक उपनगर लाउडोन कस्बे में पोटोमैक नदी के किनारे पिकनिक के लिए गए। वहीं उन्होंने नौका उतारने के लिए बनाया गया एक ढलाऊ स्थान देखा और सोचा कि परंपरागत तरीके से छठ पूजा करने के लिए यह जगह ठीक रहेगी। उन्होंने प्रशासन से संपर्क किया और पूरी बात बताने के बाद पूछा कि क्या उन्हें नदी के तट पर छठ पूजा की अनुमति मिल सकती है।
सिंह ने बताया कि अनुमति मिल गई। लेकिन 2009 में पहले साल, केवल अनिता ने ही पूजा की। इस बार चार महिलाओं ने उपवास रखने के बाद पूजा की। सबसे बड़ी बात यह है कि मंगलवार की शाम यहां 200 से अधिक लोग आए।
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