सौ फीट ऊंचे खंभे पर लहराया तिरंगा
संगम के एक छोर को छूते अकबर के किले पर फहराए गए तिरंगे की छटा पांच किलोमीटर दूर से देखी जा सकती है। इस गगनचुंबी तिरंगे को फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सांसद नवीन जिंदल ने सोमवार को फहराया। किले में स्थित पातालपुरी मंदिर के पास फहराया गया तिरंगा अपने में विशिष्ट है।
इलाहाबाद। संगम के एक छोर को छूते अकबर के किले पर फहराए गए तिरंगे की छटा पांच किलोमीटर दूर से देखी जा सकती है। इस गगनचुंबी तिरंगे को फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सांसद नवीन जिंदल ने सोमवार को फहराया। किले में स्थित पातालपुरी मंदिर के पास फहराया गया तिरंगा अपने में विशिष्ट है। फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ओर से सेना को उपलब्ध कराया गया तिरंगा दस फीट से ज्यादा चौड़ा और 15 फीट से ज्यादा लंबा है। सौ फीट ऊंचे खंभे पर फहराया गया यह तिरंगा किले की प्राचीर पर हमेशा फहराता रहेगा। राष्ट्रध्वज को आम जनता भी सम्मान से फहरा सके इसके लिए हरियाणा के कुरुक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल का प्रयास सराहनीय रहा है। नवीन जिंदल सोमवार को अकबर के किले में इस ऐतिहासिक झंडारोहण के लिए पहुंचे थे। इस मौके पर उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने राष्ट्रध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करने के लिए लोगों को प्रेरित किया। इस मौके पर उन्होंने तिरंगे को चौबीस घंटे फहराने के लिए निर्धारित की गई शर्ते भी बताई।
राष्ट्रध्वज फहराने के नियम-
भारतीय ध्वज संहिता-2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। ध्वज संहिता-भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-2002 को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया है। इसके अनुसार झंडा फहराने का सही तरीका है.
झंडे को सम्मानपूर्ण स्थान देकर ऐसी जगह लगाया जाए, जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
सरकारी भवन पर झंडा रविवार और अन्य छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है। विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।
झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिने ओर हो।
किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।
झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।
जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।
झंडा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाहिनी ओर लगाया जाए।
झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर