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बदहाली में भी खोजते रहे उम्मीद की किरण

गंगा मैया का आशीर्वाद पहले सहेलियों की तरह ही भारती की भी शादी का रिश्ता भी उसके नाना सहदेव के टेंट में रविवार को तय होने वाला था। मगर शनिवार को दिन और रात में बारिश की आफत में उसके अरमान भी भीग गए।

By Edited By: Published: Mon, 18 Feb 2013 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2013 01:22 PM (IST)
बदहाली में भी खोजते रहे उम्मीद की किरण

कुंभनगर। गंगा मैया का आशीर्वाद पहले सहेलियों की तरह ही भारती की भी शादी का रिश्ता भी उसके नाना सहदेव के टेंट में रविवार को तय होने वाला था। मगर शनिवार को दिन और रात में बारिश की आफत में उसके अरमान भी भीग गए। दरअसल, पिछले दिनों जब उसके नाना रीवा के त्योंथर इलाके के परसिया गांव निवासी सहदेव कल्पवास को आए थे तभी यह कहा गया था कि रिश्ता प्रयाग में ही तय होगा। वहां पर ही भारती को देखने वाले आएंगे और सगाई की रस्म वहां ही पूरी की जाएगी। मध्य प्रदेश के रीवा, सीधी, शहडोल, सतना, पन्ना तथा उत्तर प्रदेश के मीरजापुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा और झांसी आदि जिलों के लोग यहां रिश्ता तय करने को शुभ मानते हैं।

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महिलाओं ने संभाला मोर्चा-

सेक्टर 11 में हरिद्वार से आई श्यामादासी के शिविर में दर्जन भर महिलाएं थीं, जो रविवार सुबह होते ही बारिश से भीगे कपड़ों को सुखाने में जुट गईं थीं।

बिहार के सीतामढ़ी से आई बच्ची देवी, चंडीगढ़ के पास पंचकुला की प्रवेश देवी, झूंसी में छतनाग की सुशीला और बिहार के मुजफ्फरपुर की चंद्रावती ने बताया कि रात में उन लोगों ने जैसे-तैसे खुद को भीगने से बचाया मगर उनका सारा सामान भीग गया था। सुबह महिलाओं ने मोर्चा संभाला और शिविर से निकालकर सारे सामान को सुखाने डाला। दोपहर बाद तक स्थिति नियंत्रण में हो चुकी थी।

मोमबत्ती की रोशनी में हुआ पाठ-

सेक्टर 11 में शनिवार रात से ही महामंडलेश्वर शंकरदास के शिविर में बारिश से निजात दिलाए जाने के लिए इंद्र की पूजा होने लगी। मोमबत्ती की रोशनी में संत-महात्माओं ने रात भर पाठ किया। ढोल, मजीरा, हारमोनियम की धुन पर साधु-संतों ने शनिवार शाम को पाठ शुरू किया तो कब सुबह हुई उन्हें पता ही नहीं चल सका। जिसका परिणाम यह रहा कि रविवार को खिली धूप निकल गई और तमाम झंझावतों से उन्हें छुटकारा मिल गया।

अनाज ही नहीं, रुपये भी भीगे-

सेक्टर 11 में साधु-संतों के शिविरों में रविवार को तंबुओं को व्यवस्थित करने की बेचैनी थी। सभी जुटे थे कपड़े और तमाम भीगे हुए सामानों को सुखाने में। संत मनोहर दास जी महाराज को दान में मिले रुपये भी गए थे, जिसे वे सुखाने के लिए धूप में ऐसे फैला दिए थे कि शिविर में सबकी नजर उन पर ही थी। शिविर में इंदौर से आए रजनी शंकर के टेंट में रखा सारा अनाज भीग गया था, जिसे सुखाने के लिए वे रविवार दिन भर शिविर के आगे बैठे रहे। बोले-बस आज की बात है। सब ठीक हो जाएगा।

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