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1008 स्वर्ण कलश से सजेगी महर्षि की समाधि

वास्तुशास्त्र के अनुरूप भवन, संगमरमर के पत्थर की दीवारें, 1008 स्वर्ण कलशों से आच्छादित शिखर। यह है महर्षि महेश योगी का समाधि स्थल। इलाहाबाद में संगम के अरैल तट पर निर्माणाधीन यह समाधि स्थल खासा भव्य होने जा रहा है। महर्षि महेश योगी के साम्राज्य का जिम्मा संभाल रहे ब्रंाचारी गिरीश जी के अनुसार कुंभ के दौरान 15 फरवरी बसंत पंचमी के दिन इसका लोकार्पण होगा।

By Edited By: Published: Wed, 30 Jan 2013 02:38 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2013 02:38 PM (IST)
1008 स्वर्ण कलश से सजेगी महर्षि की समाधि

इलाहाबाद। वास्तुशास्त्र के अनुरूप भवन, संगमरमर के पत्थर की दीवारें, 1008 स्वर्ण कलशों से आच्छादित शिखर। यह है महर्षि महेश योगी का समाधि स्थल। इलाहाबाद में संगम के अरैल तट पर निर्माणाधीन यह समाधि स्थल खासा भव्य होने जा रहा है। महर्षि महेश योगी के साम्राज्य का जिम्मा संभाल रहे ब्रंाचारी गिरीश जी के अनुसार कुंभ के दौरान 15 फरवरी बसंत पंचमी के दिन इसका लोकार्पण होगा। करीब 40 करोड़ की लागत से बन रहे इस मंदिर के विद्युतीकरण पर ही एक करोड़ से ज्यादा का खर्च आ रहा है।

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महर्षि महेश योगी ने भारतीय योग, ध्यान, ज्ञान व वैदिक जीवन शैली को दुनियाभर में फैलाया था। उन्होंने वैदिक काल के सनातन धर्म के आध्यात्मिक वैभव से पूर्ण जीवनशैली को वर्तमान समय में वास्तविकता के धरातल पर उतारने का पुरजोर प्रयास किया था। विश्व के कई देशों में वैदिक विश्वविद्यालय, विद्यालय, प्रबंधन संस्थान आदि खोले तथा वैदिक रीति रिवाजों का जोरदार प्रचार प्रसार किया था। महर्षि द्वारा प्रारंभ भावातीत ध्यान पूरे विश्व में फैला है। हर धर्म, संप्रदाय के लोग इस ध्यान पद्धति के अनुयायी हैं। महर्षि के इस वैश्रि्वक साम्राज्य की अब प्रयाग की धरती पर एक बेहतरीन झांकी दिखने जा रही है। महर्षि का समाधि मंदिर इस विश्व गुरु के कार्यो का प्रतिबिंब बनने जा रहा है।

गिरीश जी के अनुसार समाधि से जुड़े विभिन्न कार्य विश्व के विभिन्न देशों से आए विशेषज्ञ कर रहे हैं। पत्थरों के कलश पर राजस्थान व मुंबई के कलाकार स्वर्ण पत्रों को चढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। इसमें 24 कैरेट शुद्ध सोने के पत्तर चढ़ाए जा रहे हैं। सारंग की चौकियों पर भी 368 स्वर्ण कलश लगाए जा रहे हैं।

मंदिर के अंदर की दीवारों पर संगमरमर भी लगाएंगे। यह संगमरमर विशेष तरीके से तैयार कराए जा रहे हैं। इनमें बहुमूल्य पत्थरों का जड़ा जा रहा है। इसके बाद इन संगमरमरों पर गोल्ड एन्ग्रेविंग (पत्थरों पर अक्षरों को उकेर कर सोने से लिखावट) का कार्य अमेरिका के डॉ. हैरी आल्टो कर रहे हैं। डॉ. हैरी को इस कार्य के लिए विश्व भर में जाना जाता है। वह महर्षि के उपदेशों को दो गुणे आठ फीट के 32 संगमरमर के ब्लाक पर लिख कर उसे दीवारों पर लगाएंगे। मंदिर भवन का जिम्मा वास्तुशास्त्री गुजरात के मे. छगनलाल रेवाशंकर सोमपुरा के निपम सोमपुरा संभाल रहे हैं। सोमपुरा परिवार शताब्दियों से मंदिरों के वास्तुशास्त्र का विशेषज्ञ माना जाता रहा है। महर्षि द्वारा स्थापित विश्व शांति राष्ट्र के राजा, महर्षि इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, हालैंड के इन्स्टीट्यूट ऑफ वैदिक सिटी प्लानिंग के निदेशक मूलत: जर्मनी के वास्तुशास्त्री डॉ. आइके हार्टमैन इसमें निपम का साथ दे रहे हैं। ब्रंाचारी गिरीश जी के अनुसार मंदिर के लोकार्पण के अवसर पर करीब 60 देशों से महर्षि के अनुयायी प्रयाग में उपस्थित रहेंगे। इसमें महर्षि द्वारा स्थापित विश्व शांति राष्ट्र के महाराज राजा नाडेर राम, 20 राजा, उनका मंत्रीमंडल आदि शामिल हैं।

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