बाबा के चिमटे से आशीर्वाद
संगम नगरी में महाकुंभ 2001: मकर सक्रांति के दिन जूना अखाड़े के दो नागा साधुओं ने शाही स्नान से लौटते वक्त दो श्रद्धालुओं की पिटाई कर दी थी। श्रद्धालुओं का कसूर इतना था कि उन्होंने नागा साधु की फोटो अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश की थी। नागा साधुओं के रौद्र रूप को देख लोग इस कदर सहमे कि फोटो खींचने की बात तो दूर, श्रद्धालु उनके पास फटकने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
इलाहाबाद, [सत्येंद्र पांडेय]। संगम नगरी में महाकुंभ 2001: मकर सक्रांति के दिन जूना अखाड़े के दो नागा साधुओं ने शाही स्नान से लौटते वक्त दो श्रद्धालुओं की पिटाई कर दी थी। श्रद्धालुओं का कसूर इतना था कि उन्होंने नागा साधु की फोटो अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश की थी। नागा साधुओं के रौद्र रूप को देख लोग इस कदर सहमे कि फोटो खींचने की बात तो दूर, श्रद्धालु उनके पास फटकने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
हरिद्वार में महाकुंभ 2010: मौनी अमावस्या के दिन हरिद्वार में अग्नि अखाड़े के एक नागा साधु ने चिमटे से एक फोटोग्राफर की इसलिए पिटाई कर दी क्योंकि वह नागा साधु के आग्रह को दरकिनार कर अखाड़े के एक साधु की भाव भंगिमा की फोटो खींचने में मशगूल था।
संगम नगरी में महाकुंभ 2013: पांच जनवरी को अटल अखाड़े की पेशवाई के दौरान ढोल की थाप पर नागा साधु पहले खुद जमकर नाचे और फिर श्रद्धालुओं को अपने साथ नृत्य करने को आमंत्रित किया। श्रद्धालु पहले तो हिचके लेकिन नागा साधुओं के रुख को भांप हर हर महादेव का उद्घोष कर भांगड़ा करने लगे। जिन्होंने नागा साधुओं को करीब से देखा है उनके लिए नागाओं और आम श्रद्धालुओं को इस तरह एक साथ दिखना किसी आश्चर्य से कम नहीं था। अब इसे समय की जरूरत कहें या नागा साधुओं का हृदय परिवर्तन, कि इस महाकुंभ में चिमटा लेकर लोगों के पीछे नागाओं को भागते देखना शायद ही मिले।
जूना अखाड़े के नागा साधु अखंडानंद सरस्वती कहते हैं यह बात दीगर है कि नागा साधु अडि़यल व गुस्सैल स्वभाव के होते हैं पर नागा के जीवन का मूल मंत्र है आत्मनियंत्रण। चाहे वह भोजन में हो या फिर विचारों में। और यही करने का प्रयास किया जा रहा है, जो इस महाकुंभ में दिख रहा है। वह कहते हैं अखाड़े के आचार्य, महंत श्री महंत जब लोगों के बीच घुल मिल रहे हैं तो नागा क्यों नहीं। आखिर वे भी तो समाज से जुड़े हैं। कहां लिखा है कि वैरागी लोगों से मिलजुल नहीं सकते।
इसी तरह आहवान अखाड़ा के कोतवाल राहुल गिरि के मुताबिक आने वाले दिनों में नागा साधु और श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण और बढ़ेगा। किसी न किसी वजह से लोग नागाओं की ओर आकृष्ट हो रहे हैं तो नागा भी उन्हें पसंद कर रहे हैं। इसी अखाड़ा के सचिव कैलाशपुरी सरस्वती की मानें तो नागाओं के लिए अखाड़ों की ओर से कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है। अखाड़ों की बैठक में श्रद्धालुओं और नागाओं के बीच के सहज रिश्तों से अखाड़ों की बढ़ रही ख्याति पर चर्चा होती है। इसका असर नागा साधुओं पर पड़ा है। इसी का नतीजा है कि अभी मेला शुरू नहीं हुआ है पर अखाड़ों में नागा साधुओं को आमजन से बड़ी सहजता से बातें करते देखा जा सकता है। अखाड़े से जुड़े कई भक्तों ने मेले के दौरान नागा साधुओं से मुलाकात कर उनसे संवाद करने का अनुनय पत्र भेजा है।
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