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बापू के प्रवचन में बही भक्ति रस की धारा

बुधवार को संत आसाराम बापू के प्रवचन में भक्ति रस की धारा बही। श्रोता कथा के अमृत वचनों में घंटों डूबे रहे। बापू ने कहा कि सत्संग के बिना जीवन नीरस है। सत्संग ही एक ऐसी जगह है जहां पर मनुष्य को सच्चा सुख कैसे मिले यह पता चल सकता है।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2013 12:21 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2013 12:21 PM (IST)
बापू के प्रवचन में बही भक्ति रस की धारा

कुंभ नगर। बुधवार को संत आसाराम बापू के प्रवचन में भक्ति रस की धारा बही। श्रोता कथा के अमृत वचनों में घंटों डूबे रहे। बापू ने कहा कि सत्संग के बिना जीवन नीरस है। सत्संग ही एक ऐसी जगह है जहां पर मनुष्य को सच्चा सुख कैसे मिले यह पता चल सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार वेंलटाइन डे नहीं बल्कि मातृ पितृ पूजन दिवस मनाए।

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सेक्टर छह स्थित शिविर में बापू की कथा के आज तीसरे दिन भारी भीड़ उमड़ी। बापू कथा कहने के लिए जैसे पहुंचे लोग भक्ति भाव में उठ कर खड़े हो गए। प्रवचन की अविरल धारा बहाते हुए बापू ने कहा कि बाहरी धन संपदा वास्तविक धन संपदा नहीं है। बाहर के दुख परेशानी भी वास्तव में विपदा नहीं है। भगवान के नाम की स्मृति व प्रीति ही वास्तव में संपदा है। भगवान नाम की विस्मृति वास्तविक विपदा है। बापू ने कहा कि एक तो प्रसन्न रहना, दूसरा सदभाव संपन्न रहना, तीसरा परिणाम पर नजर रख कर कर्म करना और चौथा मुक्त आत्मा होने का ऐसा उद्देश्य रखता तो जीवन सफल हो जाएगा। साथ ही सहज ईश्‌र्र्वर कृपा की अनुभूति होने लगती है।

बापू ने कहा कि जीव मात्र की वास्तविक मांग सच्चा सुख है। यह सुख वह है जो बिना किसी व्यक्ति वास्तु या परिस्थिति में मिलता है। इसी सुख की एक झलक पाने के लिए मनुष्य अपना जीवन व्यर्थ गंवा देता है पर उसे वह सुख नहीं मिलता है। सच्चे सुख के बिना मनुष्य नहीं रह सकता है। इसके लिए उसे संतों की शरण में आना होगा।

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