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कल्पवास का महत्व

प्रयाग, काशी और हरिद्वार में कल्पवास का विशेष महत्व है। प्रयाग में माघ माह में कल्पवास का ज्यादा महात्म्य है। गंगा को यहां लाने वाले भागीरथी ने प्रयाग में कल्पवास किया था। काशी में कार्तिक माह में अन्नपूर्णा कुंड और हरिद्वार गंगा तट पर बैशाख माह में कल्पवास होता है।

By Edited By: Published: Fri, 01 Feb 2013 01:16 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2013 01:16 PM (IST)
कल्पवास का महत्व

कुंभनगर। प्रयाग, काशी और हरिद्वार में कल्पवास का विशेष महत्व है। प्रयाग में माघ माह में कल्पवास का ज्यादा महात्म्य है। गंगा को यहां लाने वाले भागीरथी ने प्रयाग में कल्पवास किया था। काशी में कार्तिक माह में अन्नपूर्णा कुंड और हरिद्वार गंगा तट पर बैशाख माह में कल्पवास होता है। कल्पवास एक तपस्या के समान है इसमें संयम, नियम के साथ अल्पाहार, भूमि पर शयन, शुद्ध मन, वचन जरूरी है। तीनों अनी अखाड़ों के प्रधानमंत्री माधवदास का मानना है कि कल्पवासी एक माह में साक्षात भगवान को प्राप्त कर लेते हैं। वैसे भी मनुष्य शब्द का अर्थ है तपस्चर्या अर्थात भगवान की प्राप्ति। वे कहते हैं कि लोग अब कल्पवास से विमुख हो रहे हैं। यह चिंतनीय है। समाज में लोग संस्कार से भी विमुख हो रहे हैं इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। इस दिशा में काम करने की जरूरत है। उनका प्रयास है कि धर्म कर्म और आध्यात्म में लोगों की रुचि बढ़े इसके लिए उनके तीनों अखाड़े और खालसे देश और विदेश में लगातार काम कर रहे हैं।

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