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टीम इंडिया, बोर्ड व चयनकर्ताओं की चौतरफा आलोचना

इंग्लैंड में मिली शर्मनाक हार के बाद आस्ट्रेलिया में भी वही कहानी और एक बार फिर वही आलोचनाओं की बौछार। आस्ट्रेलिया के हाथों सीरीज में शर्मनाक हार पर पूर्व क्रिकेटरों ने कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए व्यवस्था में बदलाव, कुछ सीनियर खिलाडि़यों को हटाने और देश में जीवंत पिचें तैयार करने की अपील की।

By Edited By: Published: Sun, 15 Jan 2012 04:19 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jan 2012 04:19 PM (IST)
टीम इंडिया, बोर्ड व चयनकर्ताओं की चौतरफा आलोचना

नई दिल्ली। इंग्लैंड में मिली शर्मनाक हार के बाद आस्ट्रेलिया में भी वही कहानी और एक बार फिर वही आलोचनाओं की बौछार। आस्ट्रेलिया के हाथों सीरीज में शर्मनाक हार पर पूर्व क्रिकेटरों ने कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए व्यवस्था में बदलाव, कुछ सीनियर खिलाडि़यों को हटाने और देश में जीवंत पिचें तैयार करने की अपील की।

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पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कुछ सीनियर खिलाडि़यों की मनोदशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केवल कौशल से ही सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता, उन्हें अपनी समस्याओं का निदान करके वापसी करनी चाहिए। गावस्कर ने कहा, मैं समझता हूं कि काफी कुछ करने की जरूरत है। हमें प्रथम श्रेणी क्रिकेट के ढांचे पर गौर करने, जिन पिचों पर हम खेलते हैं उनको देखने और मैचों के कार्यक्रम पर ध्यान देने की जरूरत है। गावस्कर ने कहा, हमारे पास भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटिया दिमाग मौजूद हैं। उनके अनुभव का उपयोग किया जाना चाहिए तथा इसमें क्षेत्रीय राजनीति नहीं आनी चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पिछले दो दौरों में हमारी जो बुरी हालत हुई वैसी आगे नहीं हो। गावस्कर ने कहा कि कुछ खिलाडि़यों को विश्राम दिए जाने की जरूरत है ताकि वे अपनी कमजोरियों का विश्लेषण करके दमदार वापसी कर सकें। गावस्कर ने कहा, मैं समझता हूं कि चयनसमिति को कुछ बदलाव करने होंगे। खराब दौर से गुजर रहे कुछ खिलाडि़यों को विश्राम देने की जरूरत है। कौशल ही नहीं वे स्वाभाविक रूप से भी फार्म में नहीं हैं। इसलिए उन्होंने क्या गलत किया इसका विश्लेषण करने के लिए उन्हें विश्राम की जरूरत है ताकि वे इसमें सुधार करके वापसी कर सकें।

एक अन्य पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को लगता है उम्रदराज खिलाडि़यों की फार्म और कुछ अन्य खिलाडि़यों की तकनीक संबंधी समस्याओं के कारण भारतीय टीम को आस्ट्रेलिया में हार का मुंह देखना पड़ा। गांगुली ने कहा, आस्ट्रेलिया में भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के कई कारण रहे। कुछ खिलाडि़यों पर उम्र हावी हो रही है। उन्होंने लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन 39 साल की उम्र में वे टेस्ट क्रिकेट के लिए युवा नहीं हैं। कुछ के साथ तकनीक संबंधी समस्या है जैसे कि गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी। वीरेंद्र सहवाग भी इस सीरीज में नहीं चल रहे हैं। इसलिए भारत को जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा नहीं तो उनकी स्थिति खराब होती जाएगी। वहींपूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने कहा कि चयनकर्ताओं को खिलाडि़यों का चयन करने में सतर्कता बरतनी चाहिए। धौनी पर उन्होंने कहा कि उनका आत्मविश्वास हिल गया है और इससे उनकी कप्तानी प्रभावित हो रही है लेकिन उसको लेकर हमें कड़ा कदम नहीं उठाना चाहिए। पूर्व क्रिकेटर निखिल चोपड़ा ने कहा कि अब कुछ कड़े फैसले करने का समय आ गया है। चोपड़ा ने कहा, यह गहरी चिंता का विषय है। अब समय आ गया है जब हम विश्लेषण करें कि कहां गलती हुई और उसमें सुधार करने के लिए कदम उठाने चाहिए। हमें देश में अच्छे जीवंत विकेट बनाने चाहिए ताकि हमारे बल्लेबाजों को विदेशों में सामंजस्य बिठाने में दिक्कत नहीं हो। भारत में हमारी पिचों पर टर्न मिलता है जब हमारे बल्लेबाज विदेश जाते हैं तो उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा कि जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों ने आत्मसमर्पण किया वह बेहद निराशाजनक है। चोपड़ा ने कहा, भारत जब भी हारता है तो मुझे हैरानी होती है क्योंकि हमने विदेशों में अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था लेकिन पिछले एक साल में हमारा प्रदर्शन बहुत खराब रहा और जिस तरह से हमने समर्पण किया वह परिणाम से अधिक निराशाजनक रहा। कई युवा बल्लेबाज हैं जो घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बना रहे हैं। हमें चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्या रहाणे जैसे खिलाडि़यों पर विचार करना चाहिए जो लंबी पारियां खेल सकते हैं। हमें उन खिलाडि़यों को टीम में लेने की जरूरत है जिनकी अच्छी तकनीक हो और धैर्य से बल्लेबाजी कर सकते हों। पूर्व टेस्ट क्रिकेटर बापू नाडकर्णी ने कहा, हमें अब युवाओं को यह बताने की जरूरत है कि टेस्ट क्रिकेट कैसे खेला जाता है। पांच दिनी मैच में यदि आप 30 या 40 रन बना लेते हो तो यदि आप किसी बहुत अच्छी गेंद का सामना नहीं करते हो तो आपको शतक बनाना चाहिए। बल्लेबाजों का शाट का चयन बहुत खराब था। वे अक्रास खेल रहे हैं जो एकदिवसीय क्रिकेट का प्रभाव है। पूर्व कप्तान अजित वाडेकर ने भी उनकी हां में हां मिलाई। वाडेकर ने कहा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट क्रिकेट को काफी महत्व दिया जाता है। दूसरी तरफ भारत में एकदिवसीय और ट्वेंटी-20 को महत्व मिलता है। जब तक प्रशासन में राजनीतिज्ञ बैठे रहेंगे तब तक विदेशी दौरों में यह हाल आगे भी जारी रहेगा क्योंकि इन राजनीतिज्ञों को क्रिकेट का ज्ञान नहीं है। उनमें न तो जुनून है और ना ही उनकी इस खेल में दिलचस्पी है।

कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने अपनी बात रखने के लिए ट्विटर का भी इस्तेमाल किया। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने भी भारत के शर्मनाक प्रदर्शन पर हैरानी जताई। वान ने ट्वीट किया, आईपीएल से पहले और गांगुली की कप्तानी में इसी भारतीय टीम ने इंग्लैंड में जीत दर्ज की और आस्ट्रेलिया से ड्रा खेला। तब उसमें वापसी का जज्बा था। अब वह कहां गया। हारना समस्या नहीं है लेकिन जिस तरह से वे हार रहे हैं वह समस्या है। इस बीच वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्रिस गेल ने मजाकिया अंदाज में कहा, मैं आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में खेलने के लिए बीसीसीआई की हरी झंडी का इंतजार कर रहा हूं।

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