आक्रामक होकर ही फ्यूज कर सकेंगे पेस बैटरी
पर्थ। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चल रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में कंगारू पेस अटैक के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाज जूझते नजर आ रहे हैं। अगर टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाजों को आस्ट्रेलियाई पेस बैटरी फ्यूज करनी है तो इसके लिए उन्हें आक्रामक होना ही होगा। मौजूदा सीरीज में भारत कंगारुओं से 0-2 से पिछड़ रहा है। भारतीय बल्लेबाजों को आफ स्टंप से बाहर जाती गेंदों से बचना होगा।
पर्थ। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चल रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में कंगारू पेस अटैक के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाज जूझते नजर आ रहे हैं। अगर टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाजों को आस्ट्रेलियाई पेस बैटरी फ्यूज करनी है तो इसके लिए उन्हें आक्रामक होना ही होगा। मौजूदा सीरीज में भारत कंगारुओं से 0-2 से पिछड़ रहा है। भारतीय बल्लेबाजों को आफ स्टंप से बाहर जाती गेंदों से बचना होगा।
माइकल क्लार्क से लेकर जेम्स पेटिंसन तक और पीटर सिडल से माइक हसी तक सभी ने बार-बार कहा है कि मैडन ओवर फेंककर भारतीय बल्लेबाजी को दबाव में लाया जा सकता है जिससे विकेट मिलते हैं। विकेटकीपर ब्रैड हैडिन ने तो यहां तक कह डाला कि सचिन तेंदुलकर बल्ले पर गेंद के आने का इंतजार करते हैं, ताकि वह लय हासिल कर सकें। यदि उन्हें बाहर की ओर गेंद फेंकी जाए तो उन पर दबाव बनाया जा सकता है जैसा कि पिछले दो टेस्ट में देखा गया। भारतीयों को अब आक्रामक होकर खेलना होगा। पिछली दो पीढि़यों में तेज गेंदबाजी के खिलाफ भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे मोहिंदर अमरनाथ ने भी इसका समर्थन किया है जो अब राष्ट्रीय चयनकर्ता हैं। दो टेस्ट के बाद भारत लौटने से पहले अमरनाथ ने कहा था कि अच्छे तेज आक्रमण पर भी दबाव बनाया जा सकता है लेकिन इसके लिए आक्रामक होना होगा। अमरनाथ ने 1980 और 82 के दरमियान पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के तेज आक्रमण के खिलाफ कुछ बेहतरीन पारियां खेली थी। उन्होंने इमरान खान, सरफराज नवाज, सिकंदर बख्त, माइकल होल्डिंग, एंडी राबर्ट्स, मैल्कम मार्शल और जोएल गार्नर जैसे गेंदबाजों के खिलाफ पांच शतक और सात अर्धशतक समेत करीब 1200 रन बनाए थे।
बारबाडोस टेस्ट में 1982-83 की सीरीज में उनकी 91 और 80 रन की पारियां यादगार रही। उन पारियों में भारत ने 209 और 277 रन बनाए थे। दूसरी पारी में मार्शल की एक गेंद उनके मुंह पर लगी और खून बहने लगा। वह सिर्फ टांके लगवाने मैदान से बाहर गए और लौटकर 80 रन बनाए। कानपुर में 1983 में एक टेस्ट में जब मार्शल ने गावस्कर को बल्ला छोड़ने के लिए मजबूर किया तब यह महान बल्लेबाज अपना करियर बचाने के लिए जूझ रहा था। गावस्कर ने दिल्ली में अगले टेस्ट में अपने चिर परिचित हुक शाट लगाए। मार्शल एंड कंपनी को दबाव में लाकर उन्होंने सिर्फ 128 गेंद में 121 रन बना डाले। दिलीप वेंगसरकर का भी मानना है कि तेज गेंदबाजों के खिलाफ आक्रामक होना जरूरी है। उन्होंने 1983-84 में वेस्टइंडीज के खिलाफ लगातार दो शतक जड़े थे। 70 के दशक के आखिर में विश्व क्रिकेट सीरिज में ग्रेग चैपल ने कुछ बेहतरीन पारियां खेली थी। उस अनधिकृत सीरीज के पांच सुपर टेस्ट में चैपल ने 69 की औसत से 621 रन बनाए थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ उनके कट और हुक शाट आज भी याद किए जाते हैं। इस सीरीज में आस्ट्रेलिया ने हरी-भरी पिचें बनाकर भारतीयों की परेशानी और बढ़ा दी है। आफ स्टंप पर पड़ती तेज गेंदों ने भारत के मजबूत बल्लेबाजी क्रम की कलई खोल दी है।
टीम के एक युवा बल्लेबाज ने कहा, हमने सोचा था कि आस्ट्रेलियाई शार्ट आफ लेंथ गेंदबाजी करेंगे जिसके लिए हमने तैयारी की थी। लेकिन वे पूरी लेंथ से गेंद डाल रहे हैं और हरी-भरी पिच से उन्हें स्विंग मिल रही है। अब हमें फ्रंटफुट पर खेलना पड़ रहा है जिससे परेशानी बढ़ गई है।
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