बीसीसीआई के यू-टर्न से हुई निराशा
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] से जुड़ी मीडिया और संचालन परिषद संबंधी गतिविधियों के लिए प्रत्येक सत्र की अपनी 10 लाख डालर [पांच करोड़ रुपये] की मांग ठुकराए जाने के बाद मंगलवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर निशाना साधा। साथ ही कहा कि बोर्ड को अनिल कुंबले के मामले को बेहतर तरीके से सुलझाना चाहिए था।
नई दिल्ली। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] से जुड़ी मीडिया और संचालन परिषद संबंधी गतिविधियों के लिए प्रत्येक सत्र की अपनी 10 लाख डालर [पांच करोड़ रुपये] की मांग ठुकराए जाने के बाद मंगलवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर निशाना साधा। साथ ही कहा कि बोर्ड को अनिल कुंबले के मामले को बेहतर तरीके से सुलझाना चाहिए था।
गावस्कर ने कहा, बीसीसीआई ने मेरे अनुबंध पर यू-टर्न ले लिया। मैं हैरान हूं कि बीसीसीआई ने मेरा लंबित भुगतान करने से इनकार कर दिया। मैं इन रिपोर्टो को पढ़कर हिल गया हूं। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने दावा किया था कि बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार और अरुण जेटली ने उनसे वादा किया था कि उनके भुगतान को स्वीकृति मिल जाएगी। उन्होंने कहा, शरद पवार और अरुण जेटली दोनों ने मुझे वादा किया था कि मेरे भुगतान को स्वीकृति दे दी जाएगी। मेरे शुरुआती पेशकश से इनकार करने के बाद शरद पवार और ललित मोदी ने मुझे चार करोड़ रुपये के आईपीएल अनुबंध का वादा किया था। गावस्कर के बीसीसीआई को पत्र लिखने के बाद यह मुद्दा कल कार्यकारी समिति की बैठक में चर्चा के लिए आया था। उन्होंने कहा, मैंने बीसीसीआई अध्यक्ष से आग्रह किया और उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ पवार से पुष्टि की जरूरत है। पवार ने इसके बाद जेटली से बात की जिन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
गावस्कर ने कहा कि वह चिंतित नहीं हैं कि इस विवाद का उनके कमेंटेटर अनुबंध पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, मुझे अनुबंध के साथ कोई टकराव नजर नहीं आता। दोनों दो बिलकुल अलग चीजें हैं। एक प्रसारणकर्ता का अनुबंध है और दूसरा आईपीएल से जुड़ी प्रतिबद्धता का मामला है। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी [एनसीए] के अध्यक्ष पद से अनिल कुंबले के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया मांगने पर गावस्कर ने कहा, अगर कोई उसके [अनिल] जैसी विश्वसनीयता का व्यक्ति किसी कार्यक्रम के बारे में बात करता है तो इस पर उचित तरीके से चर्चा की जानी चाहिए। आप भले ही उससे शत-प्रतिशत सहमत नहीं हो लेकिन यह देखना होगा कि वह क्या कह रहा है। इस दिग्गज सलामी बल्लेबाज का मानना है कि बीसीसीआई को कुंबले के मुद्दे से बेहतर तरीके से निपटना चाहिए था।
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