हर दिशा में बढ़ते कदम
कोई दे रहा है भारत को स्वस्थ दिशा, तो कोई पिता के सपनों को कर रहा साकार, हर दिशा में बढ़ रहे हैं इनके कदम। कुछ ऐसी ही प्रतिभाओं से करेंगे मुलाकात...
कभी-कभी ये विचार आता है, नारी को क्यूं कम समझा जाता है? सशक्त भी है बुलंद भी है अपने दम पर डटी भी हैं। देश के गौरव की, अपनों के सम्मान की फिक्र करती हैं ये। कोई दे रहा है भारत को स्वस्थ दिशा, तो कोई पिता के सपनों को कर रहा साकार, हर दिशा में बढ़ रहे हैं इनके कदम। कुछ ऐसी ही प्रतिभाओं से करेंगे मुलाकात..
सेहत की खूशबू
-भारत निर्माण की ओर से नेशनल वेलनेस अचीवर अवार्ड मिला खुशबू जैन को
स्वस्थ रहना, फिट रहना, खुश रहना हर किसी को अच्छा लगता है, लेकिन 24 बाई 7 भागदौड़ और काम से भरी जिंदगी में वक्त का हर कोई मोहताज होता है, लेकिन खुशबू जैन हैं कि खुद को तो सेहत की दुनिया में व्यस्त रखती ही हैं और बाकी दुनिया को भी सेहत की खुशबू से महका रही हैं। हाल ही में उन्हें इसके लिए भारत निर्माण की ओर से नेशनल वेलनेस अचीवर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। खुशबू को वेलनेस के लिए अब तक कई 25 से अधिक सम्मान मिल चुके हैं। आयुर्वेद चिकित्सा, यूनानी चिकित्सा और योग के बूते भारत दुनिया के दिलों पर राज कर रहा है। कहा जा सकता है भारत वेलनेस टूरिस्ट हब बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। अमेरिका, यूके आदि देशों के पर्यटक यहां स्पा पैकेज पर महीने-दो महीने के लिए आते हैं, लेकिन भारत खुद ही अपने इस हुनर से बेखबर है। हमारे पास न तो समय है न ही हम जागरूक हो रहे हैं। जागरूक भी हैं तो वेलनेस की इस पद्धति को महंगा या सिर्फ उच्च वर्ग के लिए समझते हैं, जबकि ऐसा नहीं है मैं खुद लिखकर, स्पीच और वर्कशॉप के जरिए इस बारे में लोगों को जागरूक कर रही हूं। यह कहना है स्पा जैसे विषय पर भारत में पहली किताब लिखने वाली खुशबू का। यह तंदुरुस्ती का ऐसा खजाना है, जो लोगों की जरूरत भी है और लोग इससे दूर भी हैं। खुशबू अपनी किताब के जरिए लोगों को इसके गुणों के बारे में बता ही चुकी हैं। इसके अलावा लोगों को जागरूक करने के लिए अब तक हजारों आर्टिकल भी स्पा और वेलनेस पर लिख चुकी हैं। वह कहती हैं मेरा मकसद भारत को सेहत के वैश्विक पटल पर मजबूती से खड़ा करना है। इसके साथ ही किसी भी तरह से हर तबके के लिए इसकी उपयोगिता को पहुंचाना भी है। मेरी कोशिश है कि इसे हर तबके तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार भी योजनाएं बनाएं। लोग स्वस्थ रहेंगे तभी तो देश आगे बढे़गा। लोग अपनी छोटी-छोटी बीमारियों को नजरअंदाज करते हैं, जबकि यदि हम हर रोज थोड़ी देर भी खुद को आंतरिक ऊर्जा दें तो हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसे जानते सभी हैं, लेकिन फॉलो करना भूल जाते हैं। खुशबू कहती हैं कि भारत सदियों से खनिज जल स्रोत का धनी रहा है। इसे बढ़ावा भी मिल रहा है। भारत में अभी तकरीबन 4500 वेलनेस सेंटर होंगे, लेकिन फिर भी लोग इस शांत, सुकून भरे इलाज से बेखबर हैं। तंदुरुस्त रहने की तो यह ऐसी पद्धति है कि शारीरिक और मानसिक रूप से तो स्वस्थ रखती ही है। साथ ही दिनभर के आफिस और घर के तनाव से भी जूझने की शक्ति मिलती है।
हर हस्ती की सेहत का राज
फिल्मी दुनिया हो, खेल जगत या फिर राजनीतिक गलियारे सब जगह के सितारों की सेहत का राज भी तो इस स्पा से ही जुड़ा है। आजकल सबकी लाइफ इतनी शेड्यूल बेस्ड हो चुकी है कि अपने लिए वक्त देना मुश्किल होता है इसलिए खुद अपनी आंतरिक और बाहरी ऊर्जा के सकारात्मक संचालन के लिए साल-छह महीने में एक बार 10-15 दिन के लिए स्पा वैकेशन पर जरूर जाते हैं। वेलनेस की दुनिया को तेजी से आगे बढ़ा रहीं खुशबू का कहना है कि हर किसी को सप्ताह में कम से कम एक बार तो यह थेरेपी लेनी ही चाहिए, ताकि शरीर में रक्त का सही प्रवाह बना रहे और शरीर की आंतरिक गतिविधि सुचारु रूप से चलती रहे।
एसोसिएशन से इंडस्ट्री तक
सेहत और तंदुरुस्ती की इस दुनिया को स्पा एसोसिएशन के जरिए एक मंच पर लाने वाली खुशबू बताती हैं कि भारत में आयुर्वेद का समग्र संसार होते हुए भी यह व्यवस्थित नहीं था। इसके लिए एक मंच की जरूरत थी ताकि इन सबके लिए नियम से लेकर योग्यता और जरूरतों को व्यवस्थित किया जा सके। ऐसा हुआ और अब तो वेलनेस की यह इंडस्ट्री ही खड़ी हो चुकी है। इसमें सालभर में करीब पांच लाख लोगों को नौकरियां मिल जाती हैं।
मिला पुरस्कार
ई-कामर्स पोर्टल एक ऐसा पेज जहां आप अपने हर दर्द का नाम देते ही उसके लिए कौन सी थेरेपी करानी है, उसकी जानकारी मिल जाएगी। इस तरह का यह अपने आप में अनूठा पोर्टल था। इसके लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। स्पा ऑफ इंडिया किताब के लिए केंद्रीय सरकार की तरफ से पुरस्कार मिल चुका है।
- नई दिल्ली से मनु त्यागी
प्रोत्साहन पैदा करता है ललक
-हरियाणा सरकार से मिला प्रियाता राघवन को युवा महिला उद्यमी का पुरस्कार
यदि नई पीढ़ी प्रोत्साहित है तो फिर वह अपना काम पूरा करने में दिन-घंटे नहीं देखती। देश-विदेश की ब्रांडेड कंपनियों के लिए पैकेजिंग मैटेरियल तैयार करने वाली साई सिक्योरिटी प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक प्रियाता राघवन कुछ इसी सोच के साथ अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा रही हैं। प्रियाता कहती हैं कि कंपनी को 2012 तक 35 से 80 करोड़ के सालाना कारोबार तक ले तो गए, मगर यहां आकर यह ग्रोथ रुक गई। तब उन्होंने अपने पिता को कंपनी की ग्रोथ के लिए प्राइवेट इक्विटी ( निजी क्षेत्रों से फंडिंग) के लिए तैयार किया। इसके जरिए प्रियाता ने कंपनी को ऑटोमिशन पर लाने और उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाने का काम किया। कंपनी ने पिछले पांच साल में दोगुनी ग्रोथ की। इसके अलावा प्रियाता ने जब देखा कि आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन बढ़ेगा और लाटरी भी खत्म हो जाएंगी तो उन्होंने सिक्योरिटी प्रिंटिंग से कंपनी को फूड पैकेजिंग यूनिट बनाने पर जोर दिया। प्रियाता जानती थीं कि फूड पैकेजिंग में रोज काम बढ़ेगा। अब कंपनी का सालाना कारोबार 150 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है। इस बड़ी उपलब्धि के लिए फरीदाबाद डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने कंपनी के चेयरमैन विजय आर राघवन को सम्मानित करने का फैसला लिया तो उन्होंने इस सम्मान का असल हकदार अपनी बेटी प्रियाता को बताया। हरियाणा सरकार की मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा ने डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा के साथ प्रियाता को युवा महिला उद्यमी पुरस्कार से नवाजा। इतना ही नहीं प्रियाता की एक और खूबी है, उन्होंने जब से कंपनी में काम संभाला है तब से कंपनी में महिलाओं को जॉब देना भी शुरू किया। इस समय साई सिक्योरिटी प्रिंटर्स में 15 महिलाएं तो कंपनी की मुख्य संचालिकाओं में शामिल हैं। हरियाणा में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अभियान से आगे बढ़कर जब प्रियाता ने बेटी बढ़ाओ शब्द और जोड़े तो इसके लिए फरीदाबाद चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफसीसीआइ) ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया। -फरीदाबाद से बिजेंद्र बंसल
लड़ती हैं बुराइयों के खिलाफ
-हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने शिक्षिका निशा यादव को कल्पना चावला शौर्य अवार्ड से सम्मानित किया
कोई भी जुर्म हुआ तो लोग प्रशासन को कोसते हैं। व्यवस्था पर तंज कसते हैं, नारे लगाते हैं और फिर अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि न केवल जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने का जज्बा दिखाते हैं, बल्कि स्वयं जुर्म से लड़कर पीड़ितों को इंसाफ दिलाते हैं। कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है हरियाणा की निशा यादव ने। पेशे से शिक्षिका निशा सरकारी नौकरी में रहते हुए समाज व शहर को अपराध से निजात दिलाने के लिए खुद भी काम करती हैं व लोगों और बच्चों में भी जागरूकता फैलाती हैं। वर्ष 2012 में निशा ने वजीराबाद के एक स्कूल में पढ़ाते हुए पाया कि कुछ बच्चियों का व्यवहार कुछ अजीब हो गया है। वे हमेशा गुमसुम रहने लगीं। उनके शरीर पर निशान देखकर निशा बात की तह तक गईं तो पता चल कि वे बच्चियां एक एनजीओ के बने घर में रह रही थीं और वहां उनका यौन उत्पीड़न हो रहा था। इस पर निशा ने पुलिस की मदद से इन बच्चियों को वहां से मुक्त करवाया व इस जुर्म के खिलाफ धमकियों के बावजूद भी तब तक लड़ती रहीं जब तक कि दोषी को सजा नहीं हो गई। निशा के मुताबिक अभी उनकी यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है। दोषी को तो सजा हो गई, लेकिन एनजीओ संचालिका को बरी कर दिया गया था। वह इसके खिलाफ हाईकोर्ट में केस लड़ रही हैं। वह कहती हैं कि पांच से बारह साल की लड़कियों के अलावा उस संस्था में करीब 70 बच्चे थे जिसमें से 23 बच्चों का अभी भी कोई पता नहीं है। निशा हमेशा कुछ ऐसा करना चाहती थीं जिससे कि समाज में सकारात्मक बदलाव को दिशा मिले। वह हमेशा मिसाल बनना चाहती थीं। कभी नतीजा नहीं सोचती थीं, बल्कि जहां भी जुर्म देखती थी, वहां ढाल बनकर खड़ी हो जाती थीं। मालिबू टाउन निवासी निशा के मुताबिक बचपन से माता-पिता ने उन्हें हमेशा अपराध से लड़ने की ताकत दी और अब उनके पति भी उनके समाज सुधार के कार्य में उनका सहयोग करते हैं।
- गुरुग्राम से प्रियंका दुबे मेहता