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कुछ इस तरह से बिखेर रही हैं दुनिया में अपनी कला का जादू

पांच वर्ष की उम्र से ही नृत्य कर रहीं कथक नृत्यांगना शोभना झा जनवरी के अंतिम हफ्ते में मिनिस्ट्री आफ कल्चर की तरफ से विशेष आयोजन का हिस्सा बनने सेनेगल (अफ्रीका) जा रही हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 12:23 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 04:14 PM (IST)
कुछ इस तरह से बिखेर रही हैं दुनिया में अपनी कला का जादू
कुछ इस तरह से बिखेर रही हैं दुनिया में अपनी कला का जादू

दुनिया में कला का बिखेर रहा जादू बहुमुखी प्रतिभा की धनी कथक नृत्यांगना शोभना झा ने देश में ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों में अपने नृत्य का जादू बिखेरा है। स्टेज पर इनकी नृत्य मुद्राओं से दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। कला और शिक्षा, दोनों में ही उन्होंने अपने आप को साबित किया है। लेडी श्री राम कालेज में इकॉनॉमिक्स आनर्स का कोर्स करने के बाद वे एक कंपनी में काम कर रही हैं। वह पांच वर्ष की उम्र से ही नृत्य कर रही हैं। जाने माने कथक गुरु पंडित राजेंद्र गंगानी के सानिध्य में कथक में ऊंचाई प्राप्त करने वाली शोभना मूलरूप से बिहार के मधुबनी की रहने वाली हैं। वे देश के विभिन्न जगहों पर अपना नृत्य प्रस्तुत कर चुकी हैं। शोभना नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डांस एंड ड्रामा, दिल्ली से शिक्षा ली हैं। कथक नृत्यांगना शोभना झा की माता अनू झा एवं पिता एसके झा भी बेटी के अबतक के प्रदर्शन से काफी खुश हैं। प्रशिक्षण देश विदेश में ख्याति अर्जित करने वाली शोभना ने दस सालों तक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। एनएसडी के कथक केंद्र से कथक में पोस्ट डिप्लोमा किया है। उन्होंने हर डिप्लोमा कोर्स में पहला स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धियां उनकी अद्भुत प्रतिभा को बयान करती हैं।
उपलब्धियां
एक हफ्ते से लिए शोभना इसी महीने मिनिस्ट्री आफ कल्चर की तरफ से विशेष आयोजन का हिस्सा बनने सेनेगल (अफ्रीका) जा रही हैं। वे कथक के प्रचार प्रसार के साथ- साथ अपनी कला से लोगों को रूबरू करवाएंगी। शोभना विभिन्न टीवी शो के अलावा विदेशों में प्रदर्शन दे चुकी हैं। राष्टï्रीय स्तर पर 2003 में डीडी भारती पर प्रतियोगिता में पहला स्थान, यूपी संगीत नाटक एकेडमी में पहला स्थान, दिल्ली के अलावा स्वीडन, हंग्री, पोलैंड, साइबेरिया, टर्की यूरोप के विभिन्न देशों तथा कनाडा में वे भारतीय शास्त्रीय नृत्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। यह सभी टूर भारत सरकार की तरफ से थे। इसके अलावा 2011 में वे बांग्लादेश के सार्क सम्मेलन में भी हिस्सा ले चुकी हैं। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के दौरान भी उन्हें आमंत्रित किया गया था।

माता- पिता का सहयोग
इतनी सी उम्र में बड़ी - बड़ी सफलता हासिल करने वाली शोभना अब तक की सफलता का श्रेय अपने माता- पिता को देती हैं। उनका कहना है कि शास्त्रीय नृत्य में सबसे पहली चीज होती है नियमितता व लगातार प्रशिक्षण जो कि वे अपने माता पिता के बदौलत ही पूरा कर सकी हैं। उनके मुताबिक पिता की ट्रांसफरेबल जॉब होने के कारण एक शहर से दूसरे शहर जाना होता था, लेकिन उनकी मां ने उन्हें एक ही शहर में रखा ताकि वे दिल्ली में लगातार प्रशिक्षण ले सकें। माता-पिता का पूरा सहयोग मिला तभी आज मैं इस मंजिल तक पहुंच सकी हूं।
शैक्षणिक उपलब्धियां
शोभना कला के साथ शिक्षा के क्ष में भी अव्वल रही है। इन्होंने दसवीं कक्षा में 97 प्रतिशत अंक प्राप्त करके स्कूल में पहला स्थान प्राप्त किया था। दिल्ली पब्लिक स्कूल सेक्टर 45 की छात्रा शोभना ने 2011 में बारहवीं कक्षा में 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए व पंचकुला जोन में पहला स्थान प्राप्त किया था।
कैसे हुई शुरुआत
शोभना का झुकाव शुरू से ही क्लासिकल डांस की ओर था। इसे देखते हुए माता-पिता ने इनको कथक नृत्य की ओर मोड़ दिया। धीरे-धीरे शोभना की प्रतिभा निखरती चली गई और आज इतनी कम उम्र में ही देश के विभिन्न शहरों में परफोरमेंस देती चली गई। दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ, मुंबई, नोएडा, चित्रकुट, सुंदरनगर सहित कई जगहों पर कथक नृत्य प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाली शोभना को बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर अवार्ड (एनसीआर में) से भी नवाजा गया है। शोभना न केवल कथक नृत्य में लगभग महारथ हासिल कर चुकी हैं, बल्कि गायन व म्यूजिक के क्षेत्र में धीरे-धीरे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने लगी हैं। सितार एवं मृदंगम बजाने में महारत हासिल है।
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