बेजुबानों की रोशनी दिवा
दिवा शर्मा। उम्र 17 साल। 12 कक्षा की छात्रा। ललक है जज्बा है कुछ कर गुजरने का। प्रकृति-पशु-पक्षियों से लगाव है। जानवरों के प्रति दिवा का यह जुड़ाव तब चरम पर पहुंच गया जब उन्होंने उनके लिए फंड जुटाने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने सोशल
दिवा शर्मा। उम्र 17 साल। 12 कक्षा की छात्रा। ललक है जज्बा है कुछ कर गुजरने का। प्रकृति-पशु-पक्षियों से लगाव है।
जानवरों के प्रति दिवा का यह जुड़ाव तब चरम पर पहुंच गया जब उन्होंने उनके लिए फंड जुटाने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने सोशल
मीडिया का सहारा लिया। दिवा ने बताया कि डिफेंस कॉलोनी स्थित जानवरों के लिए काम करने वाले एनजीओ ने अगस्त में अपने फेसबुक
पर पोस्ट किया था कि वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जल्द ही मदद न मिली तो एनजीओ को बंद करना पड़ेगा। दिवा ने यह पोस्ट देखा तो एनजीओ की मदद करने का फैसला किया। दिवा ने इसके लिए फेसबुक पेज बनाकर अगस्त में
पेट सेफ कैंपेन लांच किया। उन्होंने व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर उसमें भी एनजीओ के लिए आर्थिक मदद मांगी।
तीन दिन में ही दिवा ने एक लाख 60 हजार रुपये जुटा लिए। दिवा ने बताया कि दान करने वालों में सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे। लेकिन सबसे ज्यादा संख्या स्कूली बच्चों की रही।
दिवा के पिता बिजनेसमैन हैं वहीं, मां अमेरिकन एंबेसी के स्कूल में शिक्षिका हैं। दिवा के इस सहयोग ने उस एनजीओ को बंद होने से बचा लिया।
बना रही हैं खास डिवाइस
दिवा कुत्ते-बिल्लियों के लिए एक प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही हैं। इसके तहत वह एक ऐसी डिवाइस डिजाइन कर रही हैं जिसकी सहायता से डॉक्टर की मदद के बगैर घर में ही पालतू
कुत्ते-बिल्ली की हार्टबीट, हेल्थ रेट, ब्रीद रेट आदि माप सकेंगे। इसके साथ ही उनकी साफ-सफाई को लेकर भी उन्हें अलर्ट मिल जाएगा। बीमार कुत्ते की पहचान भी की जा सकेगी। दिवा का कहना है कि इस काम में वह देश के जाने-माने प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर की सहायता भी ले रही हैं। प्रोजेक्ट का नाम है 'पेट सेफ नोवेल मॉनिर्टंरग मैकेनिज्म टू डिटेक्ट डिस्ट्रेस इन एनिमल्सÓ। दिवा का यह प्रोजेक्ट इंटेल आइआरआइएस नेशनल साइंस फेयर-2014 में चयनित भी हो चुका है। साइंस फेयर में देश भर से 60 हजार प्रोजेक्ट के आवेदन आए थे जिनमें से 90 का चयन हुआ था। दिवा का प्रोजेक्ट उनमें से एक था।
बनना चाहती हैं वैज्ञानिक
विज्ञान वर्ग से पढ़ाई कर रही दिवा वैज्ञानिक बनना चाहती हैं। न्यूयॉर्क में आयोजित ग्लोबल क्लास रूम में वह वीमेन एंड गवर्नेंस विषय पर संबोधन कर चुकी दिवा ने बताया कि पिछले 35 वर्षों से का जानवरों के लिए काम कर रही संस्था के बंद होने की आशंका ने उन्हें व्यथित कर दिया था इसलिए उन्होंने धन जुटाने के लिए कैंपेन लाया था।
अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी
दिल्ली