तरक्की भी है मुश्किल भी: दीपिका पादुकोण
नया के तमाम क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व है। यह कामयाबी उन्होंने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन के बलबूते पाई है। इतिहास के पन्नों में हर जगह शूरवीर महिलाओं का जिक्र है। झांसी की रानी से लेकर जीजाबाई तक इसकी बानगी हैं।
नया के तमाम क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व है। यह कामयाबी उन्होंने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन के
बलबूते पाई है। इतिहास के पन्नों में हर जगह शूरवीर महिलाओं का जिक्र है। झांसी की रानी से लेकर जीजाबाई
तक इसकी बानगी हैं। आज के जमाने की औरतें किसी से कम नहीं हैं। वे हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं और
अपनी पसंद के क्षेत्र में काम कर रही हैं। वे उन क्षेत्रों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं, जहां सिर्फ पुरुषों का
वर्चस्व रहा है।
ताजा मिसाल विंग कमांडर पूजा ठाकुर हैं, जिन्होंने पिछले साल गॉर्ड ऑफ ऑनर की अगुवाई कर इतिहास रच दिया था। इस गौरवान्वित मौके पर उन्होंने कहा था कि वे पहले अधिकारी हैं और बाद में महिला हैं। ये बात आधुनिक महिलाओं के विचार दर्शाती है, जो चाहती हैं कि उन्हें पुरुषों के बराबर समझा जाए। दरअसल, वे उनके समकक्ष काम कर रही हैं।
हिंदी सिनेमा में भी बदलाव की बयार चल रही है। अब नायिका प्रधान फिल्मों को तरजीह मिलने लगी है। हालांकि महिलाओं को स्पेशल फील कराने के लिए मैं सिर्फ एक दिन को नाकाफी मानती हूं। मेरे हिसाब से हर दिन
महिला दिवस होना चाहिए। हमें स्पेशल फील होने के लिए दूसरों पर आत्मनिर्भर होने की जरूरत नहीं है। महिलाओं को अपनी अहमियत खुद समझना बहुत जरूरी है। दरअसल, हम जिस माहौल में बड़े हुए है, उसमें बताया नहीं जाता कि यह बेहद उपयोगी है। हमने काफी तरक्की की है। अभी लंबा सफर तय करना है। मेरा मानना है कि आप जो काम करें, उसमें खुशी का अहसास होना चाहिए। तरक्की की राह में मुश्किलें तो आती ही हैं। हमें इनसे घबराना नहीं चाहिए। अपनी क्षमताओं पर यकीन रखना चाहिए। महिलाओं के लिए यह बेहतरीन दौर है। वे अपने सपनों को साकार कर रही हैं। वे अपने हक की बात करने लगी हैं और सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।