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जो करें, दिल से करें : साहिल वैद

दो वर्ष तो सिर्फ थियेटर, डबिंग और वॉयस ओवर किया। उसी से जिंदगी चली, लेकिन पिता जी हमेशा कहते थे कि जो करो, दिल से करो।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 11 Mar 2017 03:55 PM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 04:01 PM (IST)
जो करें, दिल से करें : साहिल वैद
जो करें, दिल से करें : साहिल वैद

फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ में ‘पोपलु’ के किरदार से दर्शकों का दिल जीतने वाले साहिल वैद ने ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ के जरिये दोबारा उनका भरोसा जीता है। इसमें वह वरुण धवन के दोस्त सोमदेव की भूमिका में हैं। अभिनेता के अलावा साहिल एक कामयाब वॉयस ओवर आर्टिस्ट भी हैं। ‘डेडपूल’, ‘ब्यूटी ऐंड द बीस्ट’ ऐंड ‘ऐंट मैन’ जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में इन्होंने अपनी आवाज दी है। नेशनल ज्योग्राफिक, एमटीवी के लिए वॉयस ओवर किया है। बचपन के दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं, ‘मैं बेहद शरारती था। बाहर से शांत दिखता था, पर अंदर से था शैतान। टीचर्स को शिकायत रहती, लेकिन वे कभी डांटती नहीं थीं।

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तमिलनाडु की होली की एक घटना है। दादा जी का देहांत हुआ था, मगर हम बच्चों ने मां का सिंदूर चुराकर उसे पापा को लगा दिया। काफी डांट पड़ी। इसके बाद जब दिल्ली शिफ्ट हुए, तो होली का असली रंग देखने को मिला। बहुत मजा आता था।’ साहिल के मुताबिक, वे हमेशा पढ़ाई से अधिक थियेटर के करीब रहे। हालांकि पिता जी आर्मी में भेजना चाहते थे, लेकिन किस्मत में कुछ और लिखा था। वह बताते हैं, ‘वर्ष 2007 में मैं एक्टिंग के सपने को पूरा करने के लिए मुंबई आया था। संघर्ष का लंबा दौर रहा। 2012 में पहली फिल्म रिलीज हुई ‘बिट्टू बॉस’। वह फ्लॉप रही। टीवी सीरियल ‘फौजी-2’ शुरू होने से पहले ही डिब्बे में चला गया।

दो वर्ष तो सिर्फ थियेटर, डबिंग और वॉयस ओवर किया। उसी से जिंदगी चली, लेकिन पिता जी हमेशा कहते थे कि जो करो, दिल से करो। उन्हें मुझ पर गर्व था। जब मैं मुंबई से दिल्ली घर जाता और वहां तमाम बलिदानों के बावजूद मातापिता के चेहरे पर संतोष देखता, तो मेरी हिम्मत बढ़ जाती। तभी एक दिन थियेटर के सीनियर आर्टिस्ट और मेरे दोस्त शशांक ने फोन कर पूछा, ‘क्या फिल्म में छोटा-सा रोल करोगे?’ मैंने फौरन हामी भर दी। कई ऑडिशंस के बाद आखिरकार सफलता मिली। मैं यह जानकर हैरान रह गया कि मैं धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म कर रहा हूं। एक्टिंग फील्ड में आने वालों से यही कहना चाहूंगा कि कभी हार न मानें। थियेटर करते रहें। वह आपको तराशता है।’

प्रस्तुति- अंशु सिंह

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