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एक आदर्श पिता के गुण सीखें बॉलीवुड के इस सुपरस्टार से

अपने बच्चों को लेकर सभी प्रोटेक्टिव होते हैं। लेकिन बहुत कम ही पेरेंट्स होते हैं जो अपने बच्चों के लिए उनके बेस्ट फ्रेंड होते हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 31 Jan 2017 02:33 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2017 02:53 PM (IST)
एक आदर्श पिता के गुण सीखें बॉलीवुड के इस सुपरस्टार से
एक आदर्श पिता के गुण सीखें बॉलीवुड के इस सुपरस्टार से

एक्टर, प्रोड्यूसर, आत्रप्रेन्योर, एक समर्पित हसबैंड और बॉलीवुड के किंग ऑफ रोमांस अपने उम्र के इस पड़ाव पर भी लोगों के दिलों में राज कर रहे हैं। लेकिन अपने फादरहुड की वजह से वे ज्यादा पॉप्युलर हैं। फादरहुड में भी उनकी भूमिका को मिसाल दिया जा सकता है। उनसे पेरेंटिंग के गुण सीखे जा सकते हैं।
अपने बच्चे को अपना बेस्ट फ्रेंड बनायें
वो दिन चले गए जब पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ सख्ती और अनुशासन से पेश आते थे। अब पेरेंट्स उनके साथ एक दोस्त की तरह पेश आते हैं। शाहरुख कहते हैं कि मैं अपने बच्चों से बहुत प्यार करता हूं और उन्हें अपना सबसे बेस्ट फ्रेंड मानता हूं। वे मानते हैं कि उनकी मेन्टल एज अभी 12 से 14 तक की है जिस वजह से वे बच्चों के साथ ज्यादा कंफर्टेबल फील करते हैं। उनका मानना है कि किसी भी बात के लिए पेरेंट्स को बच्चों के सामने एक टीचर की तरह नहीं एक बेस्ट बडी की तरह उनसे पेश आएं।

उन्हें अपनी लाईफ अपने तरीके से जीने की आजादी दें
अब की लाईफ में इंटरकास्ट मैरिज आम हो चला है। लेकिन प्रॉब्लम यहां आती है कि जब बच्चे जन्म लेते हैं तो उन्हें किस रिलीजन का माना जाए। ऐसे पेरेंट्स के लिए शाहरुख खान कहते हैं कि बच्चों को बस ईश्वर की ब्लेसिंग समझनी चाहिए। उन्हें बस गॉड के बारे में बताना चाहिए उन्हें गॉड में अंतर के बारे में सीख नहीं देनी चाहिए। अपने छोटे बेटे अबराम के बारे में वे कहते हैं कि इस नाम में 'राम' है जो सेक्युलरिज्म को दर्शाता है। बच्चों को सारे रिलीजन की रेस्पेक्ट करने की सीख दें।
पैसे से ज्यादा उन्हें अपना समय दें
बहुत सारे पेरेंट्स इस बात से दुखी रहते हैं कि वे अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं इसलिए वे उन्हें महंगे गिफ्ट्स देकर उन्हें बहला लेते हैं। शाहरुख खान इस मामले में बिल्कुल उलट हैं। यही कारण है कि उन्हें बॉलीवुड का सुपर डैड कहा जाता है। इतनी व्यस्त लाईफ होने के बावजूद वे उनके हर छोटी- बड़ी खुशियों का हिस्सा बनते हैं। सुहाना को फर्स्ट टाइम बाईक राईड पर ले जाना उन्हें आज भी भावुक कर देता है। वे कहते हैं कि बच्चों का बचपना दोबारा वापस नहीं आता इसलिए उनके साथ ये समय खुलकर बितायें।
उनकी हर तरह से सुरक्षा करना
बच्चों को उनकी लड़ाई खुद लड़ने का मौका देना चाहिए लेकिन कभी- कभी ऐसा भी होता है जब वे आपकी केयर और प्यार की जरुरत महसूस करते हैं। वे एक बार अपने गार्ड्स के उपर सिर्फ इसलिए चिल्ला बैठे क्योंकि पब्लिक प्लेस पर उनके छोटे बेटे अबराम पर लोग बुरी तरह टूट पड़े थी। वे कहते हैं कि अगर उनके बच्चे को लेकर कोई इस तरह का मिसबिहेव करेगा तो वे आगे भी ऐसा ही करेंगे और उन्हें इस बात का कोई गिल्ट नहीं है। वे अपने बच्चों को पब्लिक और मीडिया का हिस्सा नहीं बनाना चाहते हैं वे कहते हैं कि इस सर्कस का पार्ट मैं हूं ना कि मेरे बच्चे। शाहरुख खान का अपने बच्चों को लेकर ये कंसर्न उनके लिए उनका प्रोटेक्शन ही तो दर्शाता है
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