Move to Jagran APP

कथक की 'इलिशा'

कथक। महाभारत में भी इसका वर्णन है तो मध्यकाल में कृष्ण कथा और नृत्य से संबंध रहा है। मुस्लिम समुदाय के दरबार में किया जाने लगा और अब बिरजू महाराज इसके बड़े व्याख्याता हैं। उन्हीं की परंपरा को ले चल रही हैं कथक की इलिशा। आज बॉलीवुड की मशहूर फिल्मों

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2015 02:22 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2015 02:26 PM (IST)
कथक की 'इलिशा'

कथक। महाभारत में भी इसका वर्णन है तो मध्यकाल में कृष्ण कथा और नृत्य से संबंध रहा है। मुस्लिम समुदाय के दरबार में किया जाने लगा और अब बिरजू महाराज इसके बड़े व्याख्याता हैं। उन्हीं की परंपरा को ले चल रही हैं कथक की इलिशा। आज बॉलीवुड की मशहूर फिल्मों में भी उनकी थिरकन का जादू छाया है।

loksabha election banner

पदम विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी के सानिध्य में कथक की बारीकियां सीखने वाली इलिशा गर्ग का सफर अब बॉलीवुड फिल्मों तक पहुंच गया है। इलिशा में बचपन से ही कथक की जिजीविषा थी। कथक के प्रति ललक ने धीरे-धीरे मंच प्रस्तुति तक पहुंचाया और प्रतिभा निखरने लगी। उपलब्ध्यिां बढऩे लगीं। इलिशा ने अमृतसर में आयोजित आल हरियाणा युवा उत्सव (एकल प्रस्तुति) में प्रथम पुरस्कार हासिल किया है। 2006 में फरीदाबाद में आयोजित साई भजन दरबार में प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल के भजनों के साथ नृत्य प्रस्तुति दी है तो वहीं 2007 में राजधानी दिल्ली के प्रीतमपुरा में भजन सम्राट अनूप जलोटा के उम्दा भजनों की प्रस्तुति के साथ खूबसूरत नृत्य भी किया। इलिशा की प्रतिभा यहीं नहीं थमती वह मुजफ्फर अली साहब की फिल्म 'जांनिसार- में भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर चुकी हैं। 18 दिसंबर को संजय लीला भंसाली की रिलीज होने वाली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी- में पंडित बिरजू महाराज जी ने कोरियोग्राफी की है तो इलिशा ने फिल्म में शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी है।

शुरू हुआ सफर बढ़ता गया

पढ़ाई के साथ नृत्य के शौक के साथ बढ़ रही

इलिशा ने डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर-14,

फरीदाबाद में ही कथक गुरु वैजनाथ जी से सीखना शुरू कर दिया था। इलिशा, राघव सा से भी जुड़ीं।

बाद में पंडित बिरजू महाराज जी की शिष्या सरस्वती सेन तथा दीपक महाराज से जुडऩे पर प्रतिभा उभरती चली गई। पंडित बिरजू महाराज जी ने इलिशा का कथक के प्रति समर्पण, लगाव ललक देखी तो उन्होंने प्रशिक्षण के लिए चयनित कर लिया। बस फिर इसके बाद तो प्रतिभा लगातार संवरती निखरती और बढ़ती चली गई।

पुरस्कारों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ,

जो आज भी जारी है। कला, संस्कृति से जुड़े

कई संस्थानों की ओर से देशभर में समय-

समय पर आयोजित किए जाने उत्सवों में

इलिशा को अदब के साथ आमंत्रित किया जाता है।

नृत्य साधना और शक्ति

गार्गी कालेज, दिल्ली से स्नातक कर रही इलिशा

दीप कहती हैं कि मेरे लिए कथक साधना और

शक्ति है। मुझे आगे बढ़ाने में माता-पिता का

बहुत बड़ा योगदान है, साथ ही आदरणीय पंडित बिरजू महाराज जी की भी बड़ी भूमिका है। कथक ऐसी कला है, जिससे जुड़कर इंसान को जीवनदर्शन समझ आता है।

अनिल बेताब, फरीदाबाद

प्रतिभा प्रदर्शन तथा पुरस्कारों पर एक नजर

वर्ष 2009 में भिवानी में आयोजित आल हरियाणा युवा उत्सव में प्रथम पुरस्कार मिला।

- 3 अक्टूबर, 2010 में राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल के उद्घाटन समारोह

में प्रस्तुति।

- 26 जून, 2011 को रवींद्र नाथ टैगोर की जयंती के मौके पर मुंबई के रवींद्र भवन में प्रस्तुति।

- इंडियन वल्र्ड कल्चरल फोरम की ओर से 2012 में संगीत नृत्य उत्सव में नृत्य प्रस्तुति।

- सितंबर 2013 में चैन्नई में आयोजित महाराज इन विश्वरूपम में प्रस्तुति।

- कला आश्रम की ओर से 2014 में आयोजित वसंतोत्सव में प्रस्तुति।

- 2015 में हैदराबाद में कृष्णकृति उत्सव में पंडित बिरजू महाराज जी के साथ प्रस्तुति दी।

- 2 मई, 2015 को इंदिरा गांधी स्टेडियम, दिल्ली में आयोजित अमृत उत्सव में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक सुधांशु जी महाराज की मौजूदगी में प्रस्तुति दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.