स्टंट करने में आता है मजा- कियारा आडवाणी
'एमएस धौनी...' में साक्षी के किरदार से शोहरत बटोरने के बाद अब कियारा आडवाणी निर्देशक अब्बास-मस्तान की फिल्म 'मशीन' में नजर आएंगी एक्शन क्वीन के अंदाज में..
फिल्म 'फगली' से बॉलीवुड में कदम रखने वाली कियारा आडवाणी की तीसरी फिल्म है 'मशीन'। दूसरी फिल्म 'एमएस धौनी- द अनटोल्ड स्टोरी' में साक्षी की भूमिका में उन्हें काफी सराहा गया। 'मशीन' में कियारा के अपोजिट अब्बास के बेटे मुस्तफा हैं। कियारा दादामुनि यानी अशोक कुमार के परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनसे बातचीत के अंश:
अपने तीन साल के कॅरियर में आपने महज तीन फिल्में की। कम फिल्में करने की क्या वजहें रहीं?
पहली फिल्म की तरह दूसरी फिल्म भी अहम होती है। मैंने धैर्यपूर्वक दूसरी उम्दा फिल्म का इंतजार किया। फिर 'एमएस धौनी- द अनटोल्ड स्टोरी' साइन की। मैं उसकी रिलीज के इंतजार में थी। उसके निर्माण में ही काफी समय लग गया। उसकी रिलीज के पहले ही मैंने 'मशीन' की शूटिंग कर ली थी। बहरहाल, 'धौनी...' की सफलता मेरे कॅरियर के लिए टर्निग पॉइंट रही। उसके बाद से मेरे पास अच्छी स्क्रिप्ट आ रही हैं। बहुत सारे लोग मुझे साक्षी के किरदार से पहचानने लगे हैं।
'मशीन' से कैसे जुडऩा हुआ?
अब्बास मस्तान सर ने मेरा काम देखा था। उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया। उन्होंने बताया कि वे 'मशीन' बनाना चाहते हैं। अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट पढऩे को दी। मुझे 'मशीन' की स्क्रिप्ट काफी पसंद आई। मैंने काम करना स्वीकार किया। उन्होंने उसके लिए कोई ऑडिशन भी नहीं लिया। अब्बास-मस्तान की फिल्मों की मैं मुरीद रही हूं। उन्होंने हमेशा समय से आगे की फिल्में बनाई हैं। मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि दूसरी फिल्म में नीरज पांडे और तीसरी में अब्बास-मस्तान सरीखे मंझे हुए निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर मिला।
फिल्म में एडवेंचर है। असल जिंदगी में आप कितनी एडवेंचरस हैं?
मैं काफी एडवेंचरस हूं। मुझे सिर्फ रोलर कोस्टर झूले से डर लगता है। उसका अलावा किसी चीज से डर नहीं लगता। फिल्मों में कई नए अनुभव मिलते हैं। 'मशीन' के लिए जॉर्जिया की खूबसूरत वादियों में शूटिंग का अनुभव भी लाजवाब रहा। फिल्म में मैंने फार्मूला वन गाड़ी चलाई है। फिल्म में कई स्टंट मैंने खुद किए हैं। मैंने उसके लिए बॉडी डबल के उपयोग से इंकार कर दिया था। 'एमएस धौनी...' में एक गाने में हमारे अगल-बगल में शेर चल रहा था। यह सब अनुभव असल जिंदगी में बमुश्किल मिलते हैं। यह काफी रोचक होता है।
फिल्म 'मशीन' की टैगलाइन है द ओनली मशीन दैट फील्स। आप उसके बारे में क्या सोचती हैं?
शीर्षक मशीन मेटाफर है। यहां पर किसी रोबोट की बात नहीं हो रही है। फिल्म में सबसे बड़ा ट्विस्ट जो होगा उसका मेटाफर मशीन है। फिल्म देखने पर शीर्षक की अहमियत समझ आएगी।
अशोक कुमार से अपने परिवार के संबंध के बारे में बताएं?
अशोक कुमार की बेटी भारती गांगुली मेरी नानी हैं। उनके घर में क्लासिक फिल्मों के बड़े-बड़े पोस्टर लगे हैं। वह मुझे सिनेमा से संबंधित किताबें पढऩे को देती हैं। मुझे पहली फिल्म 'फगली' पारिवारिक संबंधों के चलते मिली थी। फिल्म के निर्देशक कबीर सदानंद ने मेरी मौसी अनुराधा पटेल को फोन किया था। उन्होंने बताया कि वह नया चेहरा लेना चाहते हैं। तब मौसी ने ही मेरी फोटो उन्हें भेजी थी। फिर उन्होंने मुझे बुलाया। मैंने ऑडिशन दिया और मेरा चयन हो गया। मैंने अनुपम खेर के स्कूल से एक्टिंग का कोर्स किया था। मेरी खुशनसीबी है कि 'एमएस धौनी' में गुरू के संग काम करने का मौका मिला।
आपकी मां और सलमान खान दोस्त रहे हैं। उनकी हीरोइन बनने का कितना क्रेज है?
मैं सलमान का बहुत सम्मान करती हूं। उनकी बहन अलवीरा को करीब से जानती हूं। सलमान से पहली मुलाकात 'दबंग' की शूटिंग के दौरान सेट पर हुई थी। अगर वह मेरे साथ काम करना चाहेंगे तो खुद को खुशनसीब मानूंगी। मैं उनसे फिल्मों के संबंध में सलाह अवश्य लेती हूं। वह हमेशा कहते हैं कि मेहनत करो। आपका काम आपकी पहचान बनेगा।
-स्मिता श्रीवास्तव
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