हर दिवस होना चाहिए महिला दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर टीवी के पुरुष किरदार क्या सोचते हैं -
कायम रहे संतुलन
रोहिताश्व गौड़, अभिनेता
भाबी जी घर पर हैं में मनमोहन तिवारी की भूमिका निभाने वाले रोहिताश्व कहते हैं, हम विकसित देश बनने की ओर अग्रसर हैं। ऐसे में महिलाओं को अहमियत और बराबरी का दर्जा देना जरूरी है, ताकि समाज में संतुलन कायम रहे। हम इस दिशा में कदम उठा भी चुके हैं। वर्तमान में महिलाएं सशक्त हो रही हैं। वे आत्मनिर्भर हैं और पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। छोटे शहरों में हालात वैसे नहीं हैं। वहां पर लड़कियों की शिक्षा पर जोर देने की अधिक आवश्यकता है। उनके लिए शिक्षा की महत्ता को समझना जरूरी है। पूर्व महिला पुलिस अधिकारी किरण बेदी हमेशा से मेरी आदर्श रही हैं।
स्त्री ईश्वर की रचना
विकास मनकतला, अभिनेता
मैं इसे महिलाओं के प्रति प्रेम, प्रशंसा और स म्मान प्रदर्शित करने का दिन मानता हूं। मेरा मानना है कि महिलाएं ईश्वर की सबसे खूबसूरत और सशक्त रचना हैं इसलिए उनका हर दिन सम्मान करते हुये हर दिवस को महिला दिवस की तरह मनाना चाहिए। मेरे लिए महिला सशक्तिकरण का अर्थ हर लड़की को शिक्षित करना है, क्योंकि किसी भी इंसान की तरक्की के लिए उसका शिक्षित होना बहुत जरूरी है। कार्यस्थल पर और घरों में उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखा जाए। मेरा यह भी मानना है कि बतौर समाज हमें महिलाओं को शारीरिक रूप से प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि वे समाज के दरिंदों से अपना बचाव कर सकें।
नए सिरे से परिभाषित हो योग्यता
शोएब इब्राहीम, अभिनेता
महिला दिवस हमें यह मौका देता है कि हम खुद से जुड़ी महिलाओं को खास महसूस करा सकें। उनकी योग्यता को नए सिरे से परिभाषित करें। मेरा मानना है कि किसी भी बदलाव की शुरुआत घर से होती है। पति, बेटा या पिता जब उनकी प्रतिभा का मोल समझेगा, उन्हें सम्मान देगा, तो बदलाव की बयार बहने लगेगी। टीवी परिवर्तन का भी सशक्त अध्याय है। कई धारावाहिकों में महिला सशक्तिकरण की बात उठाई गई है। इसी तरह ‘दंगल’ और ‘ मैरी कॉम’ जैसी फिल्मों ने लैंगिक भेदभाव को संजीदगी से उठाया, इसीलिए ये फिल्में दर्शकों के जेहन में उतर गईं।
-संगिनी फीचर
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