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निराश नहीं हूं मैं: रेबेका

ब्रिटिश तैराक रेबेका एडलिंगटन ने बीजिंग ओलंपिक में धमाल मचाते हुए 400 और 800 मीटर फ्रीस्टाइल का स्वर्ण जीता था। 1

By Edited By: Published: Thu, 09 Aug 2012 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2012 08:06 AM (IST)
निराश नहीं हूं मैं: रेबेका

ब्रिटिश तैराक रेबेका एडलिंगटन ने बीजिंग ओलंपिक में धमाल मचाते हुए 400 और 800 मीटर फ्रीस्टाइल का स्वर्ण जीता था। 1908 के बाद किसी ओलंपिक में दो स्वर्ण जीतने वाली वह पहली ब्रिटिश तैराक भी बनी थीं, लेकिन लंदन ओलंपिक में घरेलू दर्शकों के सामने उनका जादू नहीं चला। वह दोनों ही स्पर्धा में अपना खिताब नहीं बचा सकीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने प्रदर्शन पर संतुष्टि जताई। रेबेका से बातचीत के मुख्य अंश:

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घरेलू दर्शकों के सामने तैरने का अनुभव कैसा रहा?

मेरे प्रदर्शन में दर्शकों का बहुत योगदान रहा, उनके समर्थन की वजह से मैं पदक जीतने में कामयाब हो पाई। लोग मुझसे 400 मीटर में स्वर्ण की अपेक्षा कर रहे थे, लेकिन मैं कांस्य ही जीत पाई इसके बावजूद उन्होंने मेरे लिए ताली बजाई। वह सचमुच एक यादगार पल था।

आप 400 और 800 मीटर में अपना खिताब नहीं बचा पाईं। क्या आप निराश हैं?

मैं निराश नहीं हूं। मैंने स्पर्धा का कांस्य जीता है और इसमें निराश होने वाली कोई बात नहीं। मैंने अपना पूरा प्रयास किया और मुझे गर्व है कि मैं पोडियम फिनिश करने में सफल रही।

बीजिंग के मुकाबले यहां आपका प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा। इसकी वजह कहीं दवाब तो नहीं?

सभी यह जानते थे कि मैं ओलंपिक में दो स्वर्ण जीतने वाली पहली ब्रिटिश तैराक हूं, इस बात का दवाब मुझ पर था। सभी मुझसे एक बार फिर स्वर्ण की अपेक्षा कर रहे थे, लेकिन तैराकी ऐसी स्पर्धा है जहां कोई अपनी जीत सुनिश्चित नहीं समझ सकता। मैं सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकती थी और वह मैंने दिया।

आप अमेरिकी तैराक कैटी लेडेस्की के बारे में क्या कहेंगी, जिन्होंने 800 मीटर फ्रीस्टाइल का स्वर्ण जीता?

वह लाजवाब है। अभी वह युवा है और उसके आगे लंबा करियर है। मुझे लगता है कि वह मेरा विश्व रिकॉर्ड तोड़ देंगी। लेकिन फिलहाल तो यह अभी मेरे नाम है।

इस स्तर पर आप किसे महत्वपूर्ण मानती हैं शारीरिक मजबूती या मानसिक मजबूती?

एक खिलाड़ी का मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद ही अहम होता है। आत्मविश्वास जुटा पाना बेहद ही मुश्किल होता है और यह एक क्षण में ही टूट भी जाता है। कड़े अभ्यास के बाद आप शारीरिक रूप से अपने आप को मजबूत कर सकते हैं, लेकिन जब मानसिक मजबूती की बारी आती है तो इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। आपको बिना किसी सहारे के मानसिक रूप से मजबूत बनाना पड़ता है।

[पीएमजी]

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