किसी की बेबसी पर खूब बजीं तालियां ..
जागरण संवाददाता, बंडामुंडा : पेट की भूख किसी भी इंसान को मजबूरी की इंतहा पार कर देने क
जागरण संवाददाता, बंडामुंडा : पेट की भूख किसी भी इंसान को मजबूरी की इंतहा पार कर देने के लिए विवश कर देती है। मजबूरी भी ऐसी जो किसी की जान बचाने के लिए अपनी जान को खतरे में डाल दे। किसी के लिए यह मजबूरी मनोरंजन का साधन है तो किसी के लिए पेट की भूख मिटाने का साधन।
हम बात कर रहे हैं ऐसे गरीब लोगों की जिनके लिए अपने शरीर को प्रताड़ना देकर लोगों का मनोरंजन करना मजबूरी बन गया है और तमाशबीन लोग उनकी बेबशी पर तालियां बजाते हैं। 45 डिग्री की प्रचंड गर्मी व तपते सूरज के बीच कहीं दूर एक डुगडुगी की आवाज सुनाई देती है। 'मेहरबान, कदरदान, आइए देखिए दर्दनाक करतब'।
इस आवाज को तलाशते जब नजर एक जगह ठहरी तो देखा कि लोगों की भीड़ लगी है। लोग गोल घेरा बनाए सड़क के किनारे खड़े हैं और बीच में एक भूखा प्यासा आदमी अपने हाथ में एक चाबुक लिए अपने ही शरीर पर वार पर वार किए जा रहा है। स्वयं को प्रताड़ना दिए जा रहा है। भीड़ में जुटे लोग दिल थामकर उस व्यक्ति की हरकत देख रहे हैं। दूसरी तरफ मांदर बजाती तीन वर्षीय मुस्कान की मां सीता मेहरबान, कदरदान की आवाज लगाती जा रही है। आधे घंटे तक खुद को प्रताड़ित करने वाले इस करतब को देख लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। लेकिन जैसे ही खेल खत्म हुआ 90 फीसदी लोग आगे की ओर बढ़ जाते हैं। बाकी खड़े चंद लोगों ने सिक्के जमीन पर बिछे चादर उछाल देते हैं। करतब दिखाने वाले की जब नजर नीचे पड़े चादर पर पड़ी तो 32 रुपये थे। कम पैसे मिलने का भाव कलाकार की आखों में करुणा के साथ साफ दिखाई दे रही थी।