अपराधियों के लिए सैरगाह जैसी है संबलपुर जेल
वर्ष 1892 में स्थापित मंडल जेल को 125 वर्ष पूरे हो चुके हैं। सूबे
जागरण संवाददाता, संबलपुर :
वर्ष 1892 में स्थापित मंडल जेल को 125 वर्ष पूरे हो चुके हैं। सूबे की जेलों में इसे सबसे सुरक्षित माना जाता है। लेकिन रविवार को जेल में हुई छापेमारी के दौरान जब्त लाखों रुपये की नकद राशि, मोबाइल फोन और नशीले पदार्थों की जब्ती से इस जेल का सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग गया है।
माना जा रहा है कि जेल के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की शह पर जेल के अंदर काला कारोबार चलाया जा रहा था। रुपये लेकर जेल में बंद अपराधियों को हर ख-सुविधा उपलब्ध कराई जा रही थी।
पुलिस अधीक्षक अखिलेश्वर ¨सह ने बताया कि छापेमारी और इस दौरान जब्त रुपये और आपत्तिजनक सामग्रियों की रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक और जेल आइजी को भेज दी गई है।
जब्त मोबाइल से खुलेगा रहस्य : पुलिस की इस छापेमारी के दौरान जेलर सुशांत के चेंबर से मोबाइल फोन और दो सिमकार्ड जब्त किए गए थे। जेल प्रबंधन का कहना है कि सभी मोबाइल खराब हैं और यह सब जेल में बंद अपराधियों का है। सवाल है कि अपराधियों के पास यह मोबाइल पहुंचा कैसे। पुलिस जब किसी को गिरफ्तार कर जेल भेजती है तो उसका सामान थाने में ही जब्त कर लिया जाता है। सूत्रों की मानें तो जेल बंद कई दुर्दांत अपराधियों को रात के समय जैमर बंद कर मोबाइल से बातचीत करने की सुविधा दी जाती है और इसके बदले मोटी रकम वसूल की जाती है। इस संगीन आरोप का खुलासा जब्त सिमकार्ड के काल डिटेल से हो सकता है।
नशीले पदार्थों की दुकान : सूबे के अन्य जेलों की तरह संबलपुर मंडल जेल के अंदर भी नशीले पदार्थों की दुकान चलाई जा रही थी। रुपये देने पर बंदियों को गांजा, भांग, गुटखा, बीड़ी व सिगरेट भी आसानी से मिल जाता था। छापेमारी के दौरान जेलर के चैंबर से विदेशी शराब की बोतलें और गांजा की छोटी- छोटी पुड़िया, चिलम आदि जब्त हुआ। सूत्रों की मानें तो जेल में बंद कई अपराधियों को ऊंची कीमत पर शराब बेची जाती थी।
बंद छह सौ से अधिक बंदी : जेल में बंद छह सौ से अधिक बंदियों में दर्जन भर से अधिक मालदार और दुर्दांत अपराधी हैं। संभवत: विदेशी शराब उनके लिए रखा गया था। जेलर के चेंबर से प्रतिबंधित सामान जब्त होना प्रशासनिक अधिकारियों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दे रहा है।