सिंघानिया ने आश्रम में पली लड़की को बनाया बहू
जागरण संवाददाता, संबलपुर : कहते हैं कि विवाह तो ईश्वर ही तय करता है। किसका विवाह कब और किससे होना
जागरण संवाददाता, संबलपुर :
कहते हैं कि विवाह तो ईश्वर ही तय करता है। किसका विवाह कब और किससे होना है यह पहले से ही तय हो जाता है। इसका ताजा मिसाल दीपक ¨सघानिया और आश्रम में पली बढ़ी माणिक ¨सह के विवाह से स्पष्ट है। दीपक के लिए उसके व्यवसायी पिता शिव शंकर ¨सघानिया उर्फ बिल्लू भाई पिछले कई वर्षों से योग्य वधू की तलाश कर रहे थे, लेकिन किसी वजह से योग्य बहू नहीं मिल रही थी। अब उन्हें माणिक के रूप में योग्य बहू मिली तो उन्होंने बिना समय गंवाए उसे अपनी घर की बहू बना लिया।
भारती समाज के सहयोग से मंगलवार को पहले संबलपुर सब-रजिस्ट्री कार्यालय में दीपक और माणिक का सरकारी तौर पर और फिर यहां की आराध्य देवी मां समलेश्वरी मंदिर में वैदिक रीति- रिवाज के साथ यह आदर्श विवाह के बाद माणिक ¨सघानिया परिवार के लिए किरण बन गई है।
¨सघानिया परिवार के लोग, बरगां स्थित कस्तूरबा मातृमंगल केंद्र और भारती समाज के कार्यकर्ता शामिल रहकर वर दीपक और वधू माणिक उर्फ किरण को सफल वैवाहिक जीवन के लिए शुभाकनाएं दी। ओडिया-वीडियो जगत में बिल्लू भाई के नाम से प्रसिद्ध व्यवसायी शिवशंकर ¨सघानिया के एक मात्र पुत्र दीपक के विवाह को लेकर उसकी मां कृष्णा ¨सघानिया और परिवार के लोग काफी परेशान थे। दीपक के लिए कोई योग्य वधू नही मिल रही थी। हाल के दिनों में ¨सघानिया परिवार को माणिक के बारे में पता चला। माणिक बरंगा स्थित कस्तूरबा मातृमंगल केंद्र में पली बढ़ी थी और कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद उसे केंद्र में शिक्षिका के रूप में कार्य कर रही थी। ¨सघानिया परिवार ने तब माणिक के बारे में पता लगाया। माणिक मूलत: कटक जिले के माहांगा इलाके की है। पिता की मौत के बाद उसकी मां उसे कस्तूरबा मातृमंगल केंद्र में लाकर छोड़ गई थी। दस वर्षों से माणिक यहीं रहकर पली बढ़ी। खबर है कि इसी बच इसकी मां की मौत भी हो गई। अनाथ माणिक के लिए मातृमंगल केंद्र के लोग ही उसका परिवार थे।