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लैपटॉप जैसा बैग में लेकर चलें वा¨शग मशीन

ब्रजेश मिश्र, राउरकेला : भाग दौड़ भरी ¨जदगी में अब आपको अपने कपड़े धोने के लिए टेंशन लेन

By Edited By: Published: Fri, 16 Sep 2016 05:32 PM (IST)Updated: Fri, 16 Sep 2016 05:32 PM (IST)
लैपटॉप जैसा बैग में लेकर चलें वा¨शग मशीन

ब्रजेश मिश्र, राउरकेला : भाग दौड़ भरी ¨जदगी में अब आपको अपने कपड़े धोने के लिए टेंशन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लैपटॉप की तरह आपके बैग में रखी गई पोर्टेबल वा¨शग मशीन आपकी यह समस्या रिमोट का बटन दबाते ही चंद मिनटों में दूर कर देगी। महज 60 वॉल्ट की विद्युत क्षमता से संचालित होने वाली यह मशीन एक बार में साढ़े तीन से चार किलो तक वजन के कपड़े धोने में सक्षम है। इस मशीन का वजन महज 1.2 किग्रा है।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी राउरकेला के तीन छात्रों की ओर से किए गए इस आविष्कार को पेटेंट के साथ ही लिम्का बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में शामिल कर लिया गया है। इस पोर्टेंबल वा¨शग मशीन का बाजार मूल्य महज 3000 रुपये है।

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कुछ ऐसे किया आविष्कार

छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए सबसे बड़ी समस्या कपड़े धोने की हो रही थी। संस्थान से बीटेक की पढ़ाई करने वाले अनुराग मिश्र, कृति साई शुक्ला तथा मृत्युंजय शर्मा ने अपने प्रोजेक्ट वर्क के तहत पोर्टेबल वा¨शग मशीन बनाने का निर्णय किया। पहले पूरे प्रयोग को लकड़ी के जरिए तैयार किया गया। फिर ग्राफिक्स के जरिए सैद्धान्तिक तौर पूरी परिकल्पना को साकार रूप दिया गया। फिर फाइवर के जरिए मशीन का मॉडल बनाया गया। थोड़ा बहुत बदलाव के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया गया। इसमें एलइडी डिसप्ले के साथ-साथ रिमोर्ट से चलने वाले ऑटोमेटिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। मार्च 2014 में इसका पेटेंट फाइल किया गया। वर्ष 2015 में शोध को लिम्का बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में दर्ज कर लिया गया। संस्थान के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन विभाग के प्रोफेसर एके स्वाई और मैकेनिकल डिपोर्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर एसएस महापात्र की देखरेख में यह प्रोजेक्ट पूरा किया गया। मार्केटिंग फैकेल्टी एडवाइजर की जिम्मेदारी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर राजीव पंडा ने निभाई।

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खर्चा भी है कम

इस मशीन से कपड़े धोने के लिए महज एक बाल्टी पानी की आवश्यकता पड़ती है। घर, होटल, छात्रावास, धर्मशाला आप कहीं भी बेहद सहजता के साथ इस पोर्टेबल मशीन का इस्तेमाल कर अपने कपड़े धो सकते हैं। बाजार में बिकने वाले सामान्य वा¨शग मशीन के मुकाबले यह बेहद कम खर्चीला और बिजली बचाने वाला है। पानी का इस्तेमाल भी बेहद कम होता है।

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कोट :-

हमारे छात्रों की ओर से विकसित की गई इस तकनीक को लिम्का बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में शामिल किया गया है। हमारे लिए यह बेहद गर्व की बात है। इसका पेटेंट भी कराया जा चुका है। नई तकनीक आम लोगों के जीवन को बेहद आसान बनाने वाली है।

- प्रो. बीबी विश्वाल, संयोजक, टीआइआइआर,एनआइटी, राउरकेला


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