मनुष्य जीवन ही नाटक का प्राण : गोस्वामी
जागरण संवाददाता, राउरकेला : क¨लग कला परिषद की ओर से सेक्टर-21 स्थित कार्यालय परिसर में
जागरण संवाददाता, राउरकेला : क¨लग कला परिषद की ओर से सेक्टर-21 स्थित कार्यालय परिसर में नाटक निर्देशन व अभिनय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें प्रख्यात नाटककार व निदेशक गुणकार देव गोस्वामी ने कहा कि जीवन व मनुष्य ही नाटक की आत्मा व प्राण हैं। इनमें से किसी की कमी होने पर नाटक अपना प्रभाव खो देता है। अभिनेता के मंच पर प्रवेश करने के बाद निदेशक की भूमिका भी गौण हो जाती है।
राउरकेला की अग्रणी नाट्य संस्थान क¨लग कला परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम का संचालन निदेशक नलिनी निहार नायक ने किया। असम में जन्मे नाटक निदेशक गोस्वामी के संबंध में उन्होंने बताया कि 12 साल की आयु में एकक अभिनय यात्रा पार्टी से जुड़कर अपना जीवन आरंभ किया था। कई बाधा सहकर अब तक 12 नाटकों की रचना करने के साथ साथ 40 से अधिक राष्ट्रीय स्तर की नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं। उनके द्वारा रचित नाटक जेरंगा, वीरांगना, सती, संत्रास, रत्नाकर, अभिज्ञान को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है। विभिन्न कालेजों में अतिथि प्राध्यापक के रूप में काम करने वाले गोस्वामी पहले असमी नाटक निदेशक हैं जिनकें अधीन दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के विद्यार्थी नाटक का प्रशिक्षण लेते हैं। गोष्ठी में शामिल लोगों ने उनसे विभिन्न सवाल पूछे। इस कार्यक्रम में परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महाचिव एवं अन्य लोग शामिल थे।