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स्वदेशी शटल बनाने में श्यामलाल भी

अशोक महतो, बिसरा भारत की ओर से प्रक्षेपित किए गए स्वदेशी आरएलवी यानी पुन: प्रयोग किए जा स

By Edited By: Published: Fri, 27 May 2016 03:06 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 03:06 AM (IST)
स्वदेशी शटल बनाने में श्यामलाल भी

अशोक महतो, बिसरा

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भारत की ओर से प्रक्षेपित किए गए स्वदेशी आरएलवी यानी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के पहले प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के सफल प्रक्षेपण के बाद ओडिशा के हिस्से दोहरी खुशी आई है। आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से गत 23 मई को प्रक्षेपित किए गए आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी का विकास करने वाली टीम में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के बंडामुंडा स्थित रेलवे स्कूल के पूर्व छात्र श्यामल कानूनगो शामिल रहे हैं। आरएलवी-टीडी तकनीक के विकास में लगी टीम में श्यामल प्रोग्राम डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

श्यामल ने दसवीं तक की पढ़ाई बंडामुंडा स्थित एसई रेलवे हाईस्कूल से 1977 में पूरी की। इंटर की पढ़ाई उदितनगर स्थित म्यूनिसिपल कॉलेज से 1979 में पूरी की। स्नातक की पढ़ाई गवर्नमेंट कॉलेज से 1982 में किया। संबलपुर यूनिवर्सिटी से वर्ष 1984 में एमएससी की पढ़ाई की। आइआइटी खड़गपुर से एमटेक किया। वर्ष 1986 मे एमटेक करने के बाद टाटा मोटर्स में छह माह जूनियन मैनेजर के रूप में अपनी सेवाएं दी। फिर उनका चयन इसरोमे जूनियर साइंटिस्ट के पद पर हो गया। श्यामल के पिता मनोरंजन कानूनगो बंडामुंडा मे कैरेज विभाग मे फोरमैन के रूप मे कामकरते थे। उनका परिवार बंडामुंडा सेक्टर - सी के 86 मे रहता था। सन 1992 में पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद पूरा परिवार जमशेदपुर के परसुडीह मे बस गया । श्यामल कानूगों के छोटा भाई आशीष कानूनगो वर्तमान में आदित्यपुर मे रेलवे में कार्यरत हैं।

कुछ ऐसा है आरएलवी

आरएलवी पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से गत 23 मई को आरएलवी-टीडी एचईएक्स-1 ने सफल उठान भरी। पहली बार इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया। यह यान बंगाल की खाड़ी में तट से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर उतरा। हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग कहलाने वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा। आरएलवी-टीडी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है। आरएलवी को भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है।

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श्यामल ने दैनिक जागरण से साझा किया अनुभव

श्यामल ने दैनिक जागरण के प्रतिनिधि से सोशल साइट के जरिए हुई बातचीत ने अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया। उन्होंने दावा किया कि उनकी टीम की ओर से तैयार की गई यह तकनीक कम लागत में विश्वसनीयता कायम रखने और मांग के अनुरूप अंतरिक्षीय पहुंच बनाने के लिए एक साझा हल है। आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अभियानों की एक श्रृंखला है, जिन्हें एक समग्र पुन: प्रयोग योग्य यान 'टू स्टेज टू ऑर्बिट' (टीएसटीओ) को जारी करने की दिशा में पहला कदम माना जाता रहा है।

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हमें गर्व है कि हमारे विद्यालय के पूर्व छात्र ने देश का नाम रौशन किया है। हम विद्यालय परिवार की ओर से श्यामल कानूनगो को बधाई देते हैं। श्यामल की सफलता हमारे विद्यालय के छात्रों के साथ-साथ पूरे राज्य के लिए अनुकरणीय है। यह हमारे लिए दोहरे गर्व की बात है कि श्यामल हमारे विद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं।

बीएल मिश्र, प्रधानाध्यापक, एसई, रेलवे मिक्स्ड हाई स्कूल

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