दान माझी प्रकरण ने नक्सलियों में भरा दम
जागरण संवाददाता, राउरकेला : पत्नी के शव को कंधे पर लादकर घर ले जाते आदिवासी समुदाय के
जागरण संवाददाता, राउरकेला : पत्नी के शव को कंधे पर लादकर घर ले जाते आदिवासी समुदाय के दान माझी की तस्वीरों ने यूं तो देश-दुनिया को झकझोर दिया लेकिन इस घटना की आड़ में नक्सली संगठन अपना हित साधने में जुटे हैं। नक्सलियों से मोर्चा लेने में जुटे सुरक्षा बल इस नये इनपुट से स्तब्ध हैं। सुरक्षा बलों को इस बात की पुख्ता सूचना है कि अखबारों में प्रकाशित इस खबर की झारखंड-ओडिशा सीमा के पास जराइकेला व भालूलता के पास बड़े पैमाने पर फोटो कॉपी कराई गई है। आदिवासी बहुल इलाकों में इस खबर और तस्वीर को दिखाकर नक्सली संगठन अपनी खोई ताकत फिर से हासिल करने की फिराक में हैं। नक्सली साहित्य की पहुंच से दूर हो चुके आदिवासी युवाओं को यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि हकीकत में सरकार की ओर से संचालित की जा रही तमाम विकास योजनाएं उनके लिए नहीं हैं। अब भी उन्हें अपने अधिकारों के लिए ¨हसक संघर्ष करना होगा। सारंडा वन क्षेत्र के नक्सली छत्तीसगढ़ व बिहार के माओवादियों से मदद लेने की योजना बना रहे हैं। इस बीच ओडिशा के कालाहांडी में हुई इस घटना ने संगठन के हाथ एक और हथियार थमा दिया। ऐसे में सुरक्षा बलों की ओर से नक्सलियों की गतिविधियों वाले संभावित इलाकों में सुरक्षा तंत्र को ज्यादा मजबूत किया जा रहा है। ओडिशा पुलिस को सूचना है कि अपनी सेंट्रल कमेटी के निर्देश पर छत्तीसगढ़ एवं बिहार से कुछ नक्सली सारंडा में प्रवेश कर चुके हैं।
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कुछ ऐसा है दान माझी प्रकरण
कालाहांडी के भवानीपटना से करीब 60 किलोमीटर दूर रामपुर ब्लॉक के मेलघारा गांव निवासी आदिवासी दान माझी की पत्नी अमंग देई की मौत जिला अस्पताल में हो गई। शव को अस्पताल से घर ले जाने के लिए माझी को वाहन नहीं मुहैया कराया गया। माझी अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलो मीटर तक पैदल चले। उनके साथ बारह साल की उसकी बेटी भी थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय
प्रशासन हरकत में आया, तब तक यह मामला राष्ट्रीय शर्म का रूप ले चुका था।
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सारंडा क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों से इंकार नहीं किया जा सकता। झारखंड क्षेत्र में संगठन की ओर से चलाए जा रहे भर्ती अभियान के बारे में अब तक हमारे पास कोई पुख्ता जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
- हिमांशु कुमार, कमांडेंट, 19वीं सीआरपीएफ बटालियन