बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर बाहागढ़ के ग्रामीण
जागरण संवाददाता, बंडामुंडा : बिसरा ब्लाक अंतर्गत बंडामुंडा पंचायत क्षेत्र की बाहागढ़ गांव के
जागरण संवाददाता, बंडामुंडा : बिसरा ब्लाक अंतर्गत बंडामुंडा पंचायत क्षेत्र की बाहागढ़ गांव के लोग देश की आजादी के इतने वर्षों बाद भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर हैं। इस गांव के लोग बिजली, सड़क, पानी व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। चुनाव के समय गांव वालों को विकास का आश्वासन देने के बाद किसी भी नेता अथवा प्रशासन ने यहां के विकास के बारे में नहीं सोचा। बाहागढ़ गांव की आबादी करीब दो हजार है। गांव में लगभग सभी परिवार आदिवासी समुदाय के हैं। ज्यादातर ग्रामीण खेती पर निर्भर हैं। यह गांव राउरकेला स्टील प्लांट से सटा होने के बावजूद इस गांव में आज बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पायी है। पानी के लिए गांव में सीमित संख्या में चापाकल हैं। इस गांव से बंडामुंडा को जोड़ने वाली पांच किलोमीटर लंबी सड़क बद्दतर स्थिति में है।
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पांच किमी दूर पढ़ने जाते हैं बच्चे :
बाहागढ़ गांव में मात्र एक प्राइमरी स्कूल है। जिसमें पांचवीं कक्षा तक ही पढाई होती है। परंतु ऊंची शिक्षा के लिए उन्हें पांच किलोमीटर दूर बंडामुंडा जाना पड़ता है। गांव में सड़क नहीं होने का कारण विद्यार्थियों को पांच किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है। चुनाव पूर्व लंबे चौड़े वायदे करने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी जीतने के बाद गांव की तरफ रूख नहीं किया। बिजली नहीं होने के कारण प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया का सपना भी यहां के लोगों के लिए बेमानी साबित हो रहा है। गांव में लोगो के पास मोबाइल तो है लेकिन उसे चार्ज करने के लिए उन्हें तीन किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता है।
- कृष्णा तिर्की, छात्र
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गांव तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस :
बाहागढ़ गांव में सड़क नहीं होने के कारण गांव में किसी के बीमार होने पर गांव तक एंबुलेस भी नहीं पहुंच पाती। फलस्वरूप ग्रामीण बीमार लोगों को कंधे पर उठाकर करीब दो किलोमीटर तक सफर करने के बाद किसी तरह आटो रिक्से के सहारे आस्पताल पहुंचाते हैं।
- सौरव मंडल, ग्रामीण
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बिजली नहीं होने से छात्रों की पढाई पर पड़ रहा असर :
बाहागढ़ गांव में बिजली आपूर्ति बहाल नहीं होने से गांव के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। विद्यार्थियों को शाम के समय पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती है। स्कूल से घर लौटने पर छात्र -छात्राएं चाहकर भी अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाते। जिसका असर विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ रहा है।
- सुनीता तिर्की, स्थानीय महिला