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श्यामाचरण के साहित्य में सांप्रदायिकता का विरोध

जागरण संवाददाता, राउरकेला : व्यास कवि फकीर मोहन जयंती पर रविवार को कल्चरल अकादमी से

By Edited By: Published: Sun, 22 Jan 2017 05:31 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2017 05:31 PM (IST)
श्यामाचरण के साहित्य में सांप्रदायिकता का विरोध
श्यामाचरण के साहित्य में सांप्रदायिकता का विरोध

जागरण संवाददाता, राउरकेला :

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व्यास कवि फकीर मोहन जयंती पर रविवार को कल्चरल अकादमी सेक्टर-5 की ओर से अकादमी परिसर में कथा साहित्य दिवस मनाया गया। इस मौके पर साहित्यकार श्यामाचरण मिश्र के साहित्य पर गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें मुख्य वक्ता साहित्यकार केदार मिश्र ने कहा कि श्यामाचरण के साहित्य में सांप्रदायिकता का विरोध झलकता है।

केदार मिश्र ने कहा कि श्यामाचरण ने अपने साहित्य में उन्होंने सांप्रदायिक ¨हसा का उल्लेख किया है। अंग्रेजों के शासन काल में भी उन्होंने समाज की बुराइयों को उजागर किया था। उनके साहित्य के अध्ययन से अलग आनंद प्राप्त होता है एवं उस समय की तस्वीर सामने आ जाती है। आरएसपी के कार्मिक एवं प्रशासन विभाग के कार्यपालक निदेशक पीके प्रधान ने भी श्यामाचरण मिश्र को महान साहित्यकार बताया। अकादमी के अध्यक्ष नर¨सह राउत की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में महासचिव अक्षय कुमार सामल ने संपादकीय पाठ किया जबकि प्रभात मल्लिक ने गोष्ठी की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला। इस मौके पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें बलराम राउत, मीनकेतन पात्र, कुंजबिहारी राउत, विजय राय, केदार मिश्र, अंगूरबाला परीडा, अशोक महापात्र, अशोक राउत, सुशांत नायक ने स्वरचित कविताएं पढ़ी। इसका संचालन सुमन दत्ता ने किया। अंत में पशुपति नाथ चटर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


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