एयरपोर्ट आथरिटी ने किया एयरस्ट्रीप का सर्वेक्षण
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला हवाई पट्टी को हवाई अड्डा की मान्यता देने के लिए केन्द्र सरकार
जागरण संवाददाता, राउरकेला :
राउरकेला हवाई पट्टी को हवाई अड्डा की मान्यता देने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से पहल शुरू कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर एयरपोर्ट आथरिटी आफ इंडिया, एएआइ के पदाधिकारियों ने राउरकेला का दौरा किया। रविवार को इसका सर्वेक्षण पूरा कर दिल्ली लौटने की सूचना है।
एएआइ की उच्च स्तरीय टीम के द्वारा सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रदान करने के बाद राउरकेला हवाई पट्टी के संचालन की जिम्मेदारी लेने के साथ साथ इसके विकास का काम भी किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि राउरकेला हवाई पट्टी की स्थापना 1950 में टाटा आयरन एंड स्टील के द्वारा किया गया था। 1961 में कंपनी ने इसे एएआइ को हस्तांतरित किया गया। तब रांची व कोलकाता के बीच वायु दूत का आवागमन होता था। 1980 में रांची, राउरकेला भुवनेश्वर के बीच सेवा शुस् हुई। 1990 राउरकेला समेत 40 हवाई अड्डों से विमान सेवा बंद कर दी गई। 1994 में एएआइ से राउरकेला इस्पात संयंत्र ने इसकी देखरेख की जिम्मेदारी ली। उल्लेखनीय है कि 1959 में तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने राउरकेला इस्पात संयंत्र के प्रथम ब्लास्ट फर्नेस का उद्घाटन किया था। आरएसपी के बाद सुंदरगढ़ जिले में बड़ी संख्या में उद्योग की स्थापना हुई। 15 अगस्त 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु यहां आकर रिजनल इंजीनियरिंग कालेज का शिलान्यास किया। अब यह एनआइटी के रूप में जाना जाता है एवं इसकी गिनती देश के 30 बडे़ राष्ट्रीय तकनीकी संस्थानों में है एवं देश विदेश के सात हजार से अधिक विद्यार्थी यहां पढ़ाई कर रहे हैं। कलिंग वीर बीजू पटनायक के नाम पर यहां तकनीकी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। जिसमें अधीन राज्य के 156 तकनीकी संस्थान, फार्मेसी, एमसीए, एमबीए, आर्टिटेक्चर हैं। दर्जनों शैक्षिक संस्थान व उद्योगों में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, भुवनेश्वर से लोगों का आना जाना होता है। ऐसे में राउरकेला हवाई पट्टी को मान्यता देकर नियमित उड़ान की जरूरत है। एयरपोर्ट आथरिटी के सर्वेक्षण से राउरकेला से विमान सेवा फिर से शुरू होने की उम्मीद जगी है।