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भागवत कथा श्रवण से जन्मजन्मांतर के पापों से मुक्ति

जागरण संवाददाता, राउरकेला : श्री भागवत प्रचार समिति राउरकेला की ओर से माहेश्वरी भवन बिरजापाली में

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 07:04 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 07:04 PM (IST)
भागवत कथा श्रवण से जन्मजन्मांतर के पापों से मुक्ति

जागरण संवाददाता, राउरकेला :

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श्री भागवत प्रचार समिति राउरकेला की ओर से माहेश्वरी भवन बिरजापाली में गुरुवार को आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन भागवत भूषण ताराचंद शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा का सदा सर्वदा आस्वादन करना चाहिए। इसके श्रवण मात्र से ही श्रीहरि हृदय में विराजमान करते हैं और जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति हो जाती है। इस ग्रंथ में अठारह हजार श्लोक एवं बारह स्कंद हैं तथा श्री शुकदेव और राजा परीक्षित के संवाद हैं। उन्होंने कहा कि भगवत ही एकमात्र शास्त्र है जो मुक्ति दिलाता है। जिस घर में नित्य इसकी कथा होती है वह तीर्थ का रूप हो जाता है और लोग उसमें रहते हैं और उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। फल की दृष्टि से यह सुख शास्त्र गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग से बढ़क है। इसे सत्य भाषा और ब्रहमचर्य पालन पूर्वक सुनना श्रेष्ठ माना गया है। कलियुग में ऐसा कठिन है इस लिए सुखदेव ने सप्ताह श्रवणी की विधि बताई है। उन्होंने कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति के लिए इसे सबसे उत्तम साधन बताया। कलियुग में यही ऐसा धर्म है जो दु:ख, दरिद्रता, दुर्भाग्य और पापों की सफाई कर कर देता है। काम क्रोध आदि शत्रुओं पर विजय दिलाता है। गुरुवार को पहले दिन शुकदेव आगमन, नारद पांडव, कपिलदेव चरित्र, परीक्षित जन्म, बराह अवतार विषय पर विस्तार से कथा सुनाई। इसके आयोजन में समिति से जुड़े जगदीश प्रसाद जोशी, बद्री नारायण माहेश्वरी, बजरंगलाल शर्मा, ताराचंद शर्मा, पुरुषोत्तम चौमाल, सूरजमल अग्रवाल, मुरारी चौमाल, छगन लाल जैन, प्रभु दयाल अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, रामशंकर अग्रवाल, सुभाष बपोड़िया आदि लोग अहम भूमिका निभा रहे हैं।


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