क्रियायोग जीवन का मार्ग दर्शक : आत्मानंद
जागरण संवाददाता, सुंदरगढ़ :
सुनारीपाड़ा भगवत मंदिर में परमहंस आत्मानंद ने भागवत गीता एवं क्रिया योग का जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भागवत गीता व क्रिया योग जीवन को सही मार्ग दिखाते हैं। इससे शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास एक साथ हो सकता है।
उन्होंने कहा कि धृतराष्ट्र की भांति अंधा न होकर ज्ञान के माध्यम से भक्ति व क्रिया योग करना चाहिए। विभिन्न युग में महापुरुष भगवान राम, कृष्ण ने क्रिया योग के जरिये अपने सभी कायरें का संपादन किया था। हनुमान जी हमेशा महामुद्रा में होते हैं यह भी क्रियायोग का एक अंग है जिसके जरिये उन्होंने शक्ति का संचय किया। भागवत गीता में इसका प्रमाण है, चतुर्थ अध्याय में पहले यह भगवान सूर्य ने मनु को कहा गया था, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह बताया था। आज के युग में बाबाजी महाराज ने लाहिरी महाशय को दिया था एवं लाहिरी महाशय ने अपने गुरु शिष्य की परंपरा से अनेक शिष्य तैयार किये। परम हंस योगानंद ने योग के आत्म चरित लिखकर विश्व दरबार में क्रिया योग को पहुंचाया। क्रिया योग से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास एक साथ हो सकता है। सभी क्रिया योग का अभ्यास कर गुरु कृपा से भागवत कृपा प्राप्त कर सकते हैं। स्वस्थ जीवन के लिए परमहंस आत्मानंद ने भक्तों को उपदेश दिये। कार्यक्रम के आयोजन में निमाइ चरण नायक, इंद्रमोहन पुरोहित, मनोज साहू, ठाकुर बाबा समेत अन्य लोगों ने सहयोग किया।
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