पेड़ पौधे लगाने की सजा भोग रही विधवा
अगर कोई सरकारी जमीन पर लगे पेड़ काटने या उसे उजाड़ने
जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा :
अगर कोई सरकारी जमीन पर लगे पेड़ काटने या उसे उजाड़ने के लिए दंड पाता है तो यह एक सामान्य बात मानी जाती है। इसके उलट अगर पेड़ पौधा लगाने पर पर्यावरण को हरा भरा रखने और उससे अपना पेट पालने वाला दंडित या प्रताड़ित होने लगे तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। पर यह सब झारसुगुड़ा जिले के लैयकरा ब्लाक के भालुपतरा गांव की 49 वर्षीय विधवा हेमलता पटेल के साथ गुजर रहा है।
हेमलता ने सरकारी जमीन पर विभिन्न प्रकार के फलदार पेड़ पौधे लगाया और उसकी पैदावार बेचकर अपना परिवार चला रही है। वहीं गांव के कुछ दबंग लोग उसे कई तरह से प्रताड़ित कर रहे हैं। हेमलता ने इसकी शिकायत पुलिस व प्रशासन से कई बार की। इसके बावजूद किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दे दिया।
अंत में मजबूर होकर उसने जिलाधीश कार्यालय के समक्ष अपने हक व न्याय की मांग को लेकर अनशन पर आरंभ किया है। इसमें उसके वृद्ध ससुर भी उनके साथ बैठे हैं। हेमलता के कहे अनुसार वर्ष 1993 में जून 17 को आसमानी बिजली की चपेट में आने से उनके पति की मौत हो गई थी। उसके बाद परिवार चलाने का कोई साधन नहीं था। तब उसने अपने गांव के पास ही सात एकड़ सरकारी जमीन पर विभिन्न प्रकार के फलों के पेड़ लगाए और कड़ी मेहनत के बाद उसे बगीचा का रूप दिया। यहां से जो फल होता है उसे बेचकर अपना परिवार चलाती आ रही थी। सरकारी जमीन पर कुछ लोग अंतिम संस्कार भी करते थे मगर बाद में यहां लगे पेड़ को काटकर शमशान बनाने का प्रयास करने लगे और मना करने पर पेड़ को जलाने व घर का दरवाजा तोड़ दिया। इसका विरोध में कोलाबीरा थाना, कोलाबीर वन विभाग व किरमिरा तहसीलदार से कई बार शिकायत कर न्याय दिलाने की मांग की मगर किसी ने हमारी मदद नहीं की। अंत में थक हारकर जिलाधीश कार्यालय के समक्ष न्याय पाने के लिए अपना अनशन शुरू किया है।