बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग
इन दिनों पड़ रही भीषड़ गर्मी से इंसान के साथ- साथ बेजुबान
जागरण संवाददाता, ब्रजराजनगर : इन दिनों पड़ रही भीषड़ गर्मी से इंसान के साथ- साथ बेजुबान भी परेशान हैं। सूर्यदेव की आग से धरती की कोख सूखती जा रही है। ताल-तलैया सूख गए हैं वहीं हैंडपंप शोपीस बन कर रह गए हैं।
यह हाल है जिले के लखनपुर ब्लॉक अंतर्गत सरंडामाल पंचायत के दरलीपाली गांव का।
यहां की अधिकतर आबादी आदिवासी है। जिनकी आबादी करीब छह सौ के आसपास है। गर्मी में इन दिनों इन परिवारों के समक्ष संकट खड़ा हो गया है।
ज्ञात हो कि यह गांव चारों तरफ से एमसीएल की लखनपुर, बेलपहाड़ तथा लीलारी खुली खदानों से घिरा होने के कारण कुएं व अन्य भूमिगत जल स्रोत पूरी तरह से सूख गए हैं। वहीं लीलारी नाले का पानी भी अब इतना गंदा हो गया है कि वह भी पीने योग्य नहीं है। गांव के भुइंयापाड़ा में तीन चापाकल है जिनमें से एक पूरी तरह बेकार हो चुका है जबकि अन्य दो जरूरी आवश्यकताओं को नहीं पूरा कर पा रहे हैं।
वहीं हरिजनपाड़ा के तीनों नलकूप बेकार हो चुके हैं। कुछ नलकूपों में से लाल पानी निकलता है जो व्यवहार योग्य नहीं है। गांव की बैदेही सा का कहना है कि नलकूपों का पानी सिर्फ बर्तन साफ करने के काम आता है। जबकि जयदेव सा का कहना है कुएं सूख जाने के उपरांत अब सिर्फ लिलारी नाले पर ही उनका नहाना- धोना निर्भर है। एमसीएल द्वारा दो टैंकरों के माध्यम से पानी मुहैया कराया जाता है जो कि गांव वालों की आवश्यकता के अनुपात में काफी कम है। गांववासियों द्वारा व्यवहार किए जाने वाला पानी मवेशियों के पीने योग्य भी न होने की बात गांव की लक्ष्मी किसान एवं वेदव्यास सुनानी ने कही।