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जगन्नाथ संस्कृति पर मंथन

जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा : श्री जगन्नाथ चेतना गवेषणा प्रतिष्ठान की बैठक गत रविवार को स्थानीय जगन्न

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 01:13 AM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 01:13 AM (IST)
जगन्नाथ संस्कृति पर मंथन

जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा : श्री जगन्नाथ चेतना गवेषणा प्रतिष्ठान की बैठक गत रविवार को स्थानीय जगन्नाथ मंदिर के सम्मेलन कक्ष में संपन्न हुई। बैठक में जगन्नाथ संस्कृति को लेकर विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।

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इस अवसर पर श्री जगन्नाथ महाप्रभु के ध्यानमंत्र को महर्षि वेदव्यास द्वारा प्रदत्त एवं संपूर्ण मानव समाज को एकता के सूत्र में बांधे रखने में सहायक होने की बात कही गई। जगन्नाथ चेतना गवेषणा प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय सचिव रवींद्र प्रतिहारी ने पश्चिम ओडिशा में स्थित सभी 747 जगन्नाथ मंदिरों की पूजन प्रणाली को पुरी के जगन्नाथ मंदिर के समान करने की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी फरवरी माह में महाप्रभु जगन्नाथ के चरित्राभृत पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. करुणाकर प्रधान ने झारसुगुड़ा जिले के ब्रजराजनगर स्थित सभी जगन्नाथ मंदिरों के परिचालकों एवं पुजारियों के साथ तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर एवं कार्यशाला करने पर भी चर्चा की। प्रतिष्ठान के पश्चिमांचल सचिव चिंतामणि दास ने जगन्नाथ संस्कृति पर अपना पक्ष रखा। बैठक में मंदिर प्रंबधन समिति के अध्यक्ष हरिहर परिडा, सचिव युधिष्ठिर नायक सहित अन्य लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। अंत में उपन चरण साहू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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