बेहाली का जीवन जीने को मजबूर बांस के कारीगर
जागरण संवाददाता, ब्रजराजनगर :
झारसुगुड़ा जिले के बेलपहाड़ नगरपालिका अंतर्गत आनेवाले महीजोर इलाके के महारपाड़ा बस्ती में निवास करते हैं बांस से विभिन्न प्रकार की सामग्रियां बनाने वाले कारीगर। बेलपहाड़ के सीताराम पहाड़ के निचले हिस्से में निवास करते हुए पहाड़ी इलाके से बांस काटकर उनसे अलग अलग सामग्री बनाकर बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं यहां रहने वाले कारीगर।
अब पहाड़ी पर बास न होने की वजह से हिमगिर इलाके से बांस लाकर ये अपनी जीविका चलाते हैं। बस्ती में 11 परिवार रहते हैं एवं परिवारों के सभी सदस्य मिलकर बांस की चटाई, टोकरी, डालिया तथा सूप आदि बनाते हैं, लेकिन आजकल इन्हें वो आमदनी नहीं हो पाती जो अतीत में हुआ करती थी। पूरे परिवार के कड़े पश्रिम के बावजूद इन्हें भरपेट भोजन नसीब नहीं होता। वर्षा के दिनों में इन्हें अन्यत्र मजदूरी करके जीविका चलानी पड़ती है। हाथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने की सरकारी योजनाएं तो होती है लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इन घोषणाओं का कोई महत्व नहीं होने की बात नृप तुमलिया नायक कारीगर ने बतायी। इन कारीगरों ने बताया कि ब्रजराजनगर जब पेपर मिल खुली थी तब संबलपुर जिले के रेंगाली से इनकों बांस काटने के लिए बेलपहाड़ में बसाया गया था एवं तब से वे यहां रहते हैं। प्रशासन अथवा सरकार द्वारा उनकी तरफ ध्यान नहीं दिए जाने तथा उनकी बस्ती में पेयजल तथा बिजली की सुविधा न करने का आरोप भी इन्होंने लगाया।