टीएमसी सांसद सुदीप को बड़ी राहत
रोजवैली चिटफंड घोटाले में तृणमूल काग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपा
जागरण संवाददाता, कटक : रोजवैली चिटफंड घोटाले में तृणमूल काग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को ओडिशा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें सशर्त जमानत दे दी।
हाईकोर्ट की शर्त के मुताबिक सांसद बंद्योपाध्याय 50-50 हजार रुपये का दो जमानतदार एवं 25 लाख रुपये बैंक में जमा करना होगा। उन्हें अपना पासपोर्ट सीबीआइ को सौंपना होगा और मामले जांच में भी पूरा सहयोग करना होगा। हाईकोर्ट से सुदीप बंद्योपाध्याय को जमानत मिलना निश्चित तौर पर उनके लिए बड़ी राहत है।
रोजवैली चिटफंड घोटाला उजागर सामने आने के बाद कई बड़ी हस्तियां इसके शिकंजे में फंसती नजर आई। कोलकाता की यह कंपनी ओडिशा समेत अन्य कुछ राज्यों में अपना कारोबार खोला था। ओडिशा में जब चिटफंड घोटाले की जांच हुई तो छानबीन के दौरान तृणमूल सांसद सीबीआइ की गिरफ्त में आ गए। उनसे पूछताछ के बाद में रोजवैली कंपनी के मुख्य गौतम कुंडू के साथ उनके संबंधों के बारे में पता चला था। मामले में उनकी संलिप्तता का प्रमाण मिलने पर सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। वह तभी से जेल बंद हैं।
तीन जनवरी 2017 को सीबीआइ ने सुदीप को गिरफ्तार किया था। टीएमसी के अन्य एक सांसद तापस पाल को इसी मामले 30 दिसंबर 2016को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआइ के मुताबिक रोजवैली चिटफंड के जरिए लोगों से ठगी कर देशभर से 17 हजार करोड़ से अधिक रुपये की ठगी की थी। ओडिशा में यह आंकडा 450 करोड़ से ज्यादा था। रोजवैली ने सुदीप को आíथक फायदा पहुंचाया था। उनकी विदेश यात्रा का खर्च उठाने के साथ रोजवैली के चेयरमैन गौतमकुंडू से कई उपहार मिले थे।
दो सप्ताह पहले सुदीप बंद्योपाध्याय की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जेपी दास ने मामले की सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था। शुक्रवार को यह फैसला सुनाया गया। जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान आवेदनकारी के वकील मिलन कानूनगो की ओर से बहस छेड़ी गई थी। इसमें आवेदनकारी के वकील ने दर्शाया था कि रोजवैली के किसी भी तरह के कारोबार में उनका किसी भी तरह की संपृक्ति नहीं है। उनका मुवक्किल रोजवैली से किसी भी तरह का आíथक फायदा नहीं लिया है।
दूसरी ओर सरकारी वकील ने सुदीप को जमानत न देने की कोर्ट से अपील की थी। कहा कि एक सांसद को जमानत पर मिलने वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इससे मामला प्रभावित हो सकता है। चार फरवरी 2017 को खुर्दा जिला एवं सेशन जज कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद नौ फरवरी को उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए गुहार लगाई थी। आठ मई को मामले की सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा गया था।
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रोजवैली का कारोबार
पश्चिम बंगाल समेत त्रिपुरा, ओडिशा, असम, झारखंड एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों में फैला हुआ था। लोगों को अधिक ब्याज का लालच देकर यह कारोबार रोजवैली चला रहा था।