आड़प मंडप में विराजे भगवान
मान्यता है कि आड़प मंडप में भगवान के दर्शन-पूजन से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। श्रीमंदिर से रथ पर सवार होकर शरधाबाली पहुंचे भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा एवं बलभ्रद को गुडिंचा मंदिर (आड़प मंडप यानी जन्मस्थली ) ले जाया गया। यहां भगवान के दर्शन को लोगों का तांता लगा हुआ है। मान्यता है कि आड़प मंडप में भगवान के दर्शन-पूजन से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। महाप्रभु के यहां व्यवस्थित तरीके से दर्शन को लेकर प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं।
आड़प मंडप में महाप्रभु के अवस्थान के दौरान महाप्रासद बिक्री और प्रसाद सेवन के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। इसके पूर्व सोमवार दिनभर गुडिंचा मंदिर के सामने महाप्रभु के दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ रही। रथयात्रा के दिन भीड़भाड़ के चलते महाप्रभु के दर्शन से वंचित हुए श्रद्धालुओं ने शरधाबाली (गुडिंचा मंदिर के सामने) पहुंचकर श्री विग्रहों के दर्शन किए और जगन्नाथ के समक्ष अपने मनोरथ रखे।
सूना हुआ श्रीमंदिर
भगवान के जाने के बाद सालभर भक्तों की भीड़ से भरा रहने वाला श्रीमंदिर सूना-सूना हो गया है। इक्का-दुक्का भक्त ही श्रीमंदिर का रुख कर रहे हैं। वहीं श्रीमंदिर के जगमोहन की मरम्मत को लेकर पूर्त विभाग, भारतीय पुरातत्व विभाग और श्रीमंदिर के अधिकारियों ने मुआयना करते हुए मरम्मत क्षेत्र की पहचान की।
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की देखरेख में जगमोहन मरम्मत का काम हाथ में लिया गया है। हर साल रथयात्रा के दौरान जगमोहन में छोटे-मोटे मरम्मत के काम निपटाए जाते हैं, क्योंकि इस समय मंदिर में श्री विग्रहों के न होने से काम करने में आसानी होती है। इस साल जगमोहन की छत को बीम से मजबूती प्रदान करने का काम हाथ में लिया गया है। कोर कमेटी को विश्वास है कि महाप्रभु के नीलाद्री विजय से पहले सारा काम सुचारू ढ़ंग से संपन्न कर लिया जाएगा।
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