चंदका में मिले प्रस्तर युग की सभ्यता के संकेत
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : राजधानी भुवनेश्वर से सटे कटक जिले के चंदका अभयारण्य के आसपास
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : राजधानी भुवनेश्वर से सटे कटक जिले के चंदका अभयारण्य के आसपास करीब चार हजार साल पहले की चित्रकला का पता चला है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की ओर किए जा रहे शोध में पार्थपुर, कुसपांगी, गयलबांक इलाके में मौजूद पहाड़ी गुफाओं में 3500 से चार हजार साल पहले लोगों के रहने की बात प्राथमिक आकलन से पता चली है। पहाड़ की गुफाओं में चित्रकला उकेरी व अंकित की गई है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह नए प्रस्तर युग एवं ताम्र प्रस्तर युग की चित्रकला है।
पहाड़ में मौजूद छोटी-छोटी गुफाओं का नामकरण पांडव बखरा, दियर खोल, बाघ गुफा, नरहरि गुफा, अनाहत गुफा, कालिया तइला गुफा, राईखोल गुफा बनाई गई है। इस पहाड़ से कुछ ही दूरी पर महानदी से ही सटा एक तालाब है। इससे अनुमान किया जा रहा है कि उस समय नदियों के किनारे एक सभ्यता विकसित हो रही थी। इसके अलावा गुफाओं में मधुमक्खियों के छत्ते, ज्यामितिक संकेत, कमल का फूल, मयूर का चित्र, अस्त्र-शस्त्र के चित्र, सूर्य, साप, हिरण आदि के भी चित्र मिले है, जिनका रंग गेरुआ, पीला, सफेद है। इस संबंध में एएसआइ भुवनेश्वर शाखा के उप अधीक्षक तथा प्रोजेक्ट के निदेशक डॉ. डीवी गणनायक के मुताबिक दो-तीन साल से राज्य के विभिन्न स्थान पर ताम्र युग की सभ्यता का पता चल रहा था। इसी के मद्देनजर तीन माह पूर्व पुरातत्वविद संजय पंडा, आशीष रंजन साहू, उमाकांत भोई, वरिष्ठ सर्वेक्षक शुभेंद्र कुमार खुंटिया, बीबी बड़माली व फोटोग्राफर आरएन साहू के साथ तीन माह पूर्व शोध शुरू किया गया, जिसमें प्राचीन युग की चित्रकला मिली है। डॉ. गणनायक ने बताया कि यहां मिली चित्रकला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के भीमबेटका (भीमबैठका) से मिलती-जुलती है। उन्होंने बताया कि ओडिशा में पहली बार ऐसी चित्रकला मिली है।